नई दिल्ली, वरिष्ठ संवाददाता। 400 यूनिट तक खपत करने वाले उपभोक्ताओं को दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग ने 47 रुपये की फौरी राहत दी है। यह राहत नए टैरिफ आर्डर में किए गए प्रावधानों से हुई है लेकिन वहीं अधिक खपत करने वाले उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ा दिया गया है। आयोग की इस कूटनीति पर आरडब्ल्यूए संगठनों ने मोर्चा खोल दिया है। संगठनों का कहना है कि आयोग के इस फैसले ने स्पष्ट कर दिया है कि आयोग केवल बिजली कंपनियों को बचाने के लिए फॉर्मूले तैयार कर रहा है।
अब संगठन इसके फैसले के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी दे रहे हैं। संज्ञान पर उठा सवालआयोग के पास नया टैरिफ आर्डर जारी करने की कोई शक्तियां नहीं है। आयोग सैक्शन 64 (4) की शक्तियों का प्रयोग करते हुए केवल फ्यूल एडजेस्टमेंट कर सकता है। पब्लिक की सुनवाई के बाद ही नया टैरिफ जारी किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त स्टेट एडवाइजरी कमेटी की मीटिंग भी नहीं बुलाई गई। जारी किया गया टैरिफ आर्डर गैर कानूनी है। जल्द ही मामले में संबंधित ट्रबि्यूनल में शिकायत दर्ज कराई जाएगी
अनिल सूद, सदस्य,स्टेट एडवाइजरी कमेटी। क्या कहता है आयोगसब कुछ नियम के आधार पर किया गया है बिजली एक्ट के 64(2) में प्रावधान है कि एक वित्त वर्ष में एक बार आयोग टैरिफ में बदलाव कर सकता है। इसी प्रावधान का प्रयोग करते हुए नया टैरिफ आर्डर जारी किया गया है। : आयोग अध्यक्ष, पी. डी. सुधाकर। क्या कहते है आरडब्ल्यूए संगठन1 जुलाई से पहले रेट का फर्क देखते हैं। पहले 400 यूनिट के लिए 1720 देने पड़ रह थे।
बाद में टैरिफ बदलाव के बाद यह 2258 रुपये हुआ। आयोग के प्रस्ताव में 2210 रुपये बोले लेगें। बढ़ोतरी के पीछे तर्क क्या है। आरडब्ल्यूए ने साबित किया है कि जब तक बैलेंस शीट की जांच न हो तब तक नया टैरिफ न लागू हो। बिल पर उपभोक्ता 8 प्रतिशत रविकरी चार्ज और 5 प्रतिशत इलैक्ट्रिसिटी टैक्स देना होगा। नए टैरिफ से आम जनता को कोई राहत नहीं मिलेगी। : सौरव गांधी, अध्क्ष आरडब्ल्यूए ऊर्जा। डीईआरसी जो पॉलिसी गलत है।
टैरिफ के नाम पर लूट मचा रखी है। जब दाम बढ़ाते हैं तो 28 प्रतिशत का इजाफा किया जाता है और कम करना होता है तो 20 पैसे कम करके दूसरे स्लैब में 10 पैसा बढ़ा दिए जाते है। दूसरी तरफ हमारे पास कोई दूसरी बिजली कंपनी का विकल्प नहीं है। इससे उपभोक्ताओं की स्थिति और खराब हो गई है। इससे उपभोक्ता को कोई राहत नहीं मिलेगी। : बी . एस वोहरा, अध्यक्ष, पूर्वी दिल्ली ज्वाइंट फ्रंट। आयोग ने बहुत सफाई से डिस्कॉम का ध्यान रखा है ताकि उनको पूरा पैसा मिलता रहे।
जो स्लैब के साथ टैरिफ में जो बदलाव किया है जनता का रोष कम करने की कोशशि की है। 18 से 3 प्रतिशत का फर्क पड़ेगा। 399 यूनिट पर 3 प्रतिशत और 201 यूनिट को 18 प्रतिशत का फायदा मिल सकता। इसकी भरपाई अधिक खपत वाले पर डाल दिया गया है। आयोग ने केवल भूल सुधारी है। डीईआरसी को बंद कर देना चाहिए क्योंकि आयोग जनता के हित का कोई ख्याल नहीं रखा जा रहा है। : राजीव ककडिम्या, गेट्रर कैलाश आरडब्ल्यूएकब बढ़ा कितना बोझ1 जुलाई के बाद 0-200 यूनिट के लिए 3.70 रुपये और 0-400 यूनिट के लिए 4.8 का भुगतान लिया जाता था।
इस पर 4 प्रतिशत एफपीए, 8 प्रतिशत पुराना बकाया और बिजली कर के बाद यह बिल 2257.9 रुपये बनता था। प्रस्तावित टैरिफ में पर बिल : प्रस्तावित टैरिफ में 400 यूनिट तक का यह बिल 0-200 यूनिट के लिए 740 और 201 से 400 यूनिट के लिए 1140 रुपये था। जो कुल 1880 रुपये बनता था। इस पर सभी टैक्स लगाने के बाद यह बिल 2210.8 रुपये आना संभावित था। लागू किए टैरिफ पर बिल : नए टैरिफ में 400 यूनिट तक के लिए 200 यूनिट तक 740 रुपये और इसके बाद 1100 रुपये बनता है।
यह कुल बिल 1840 रुपये बनता है। जिस पर सभी टैक्स लगाने के बाद यह बिल 2163 रुपये बनता है। क्या कहता है सरकारी गणित (टैक्स अतिरिक्त)खपत वर्तमान बिल बदलाव के बाद बिल अंतर201 964.80 775.50 219250 1200 1015 185300 1440 1290 150350 1680 1565 115400 1920 1840 80450 2240 2165 75500 2560 2490 70600 3200 3140 60800 4480 4440 401
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