ये लोग राजनीति करने नही, राजनीति सिखाने के लिए आए थे. लेकिन हालात ये हैं कि सत्ता के गलियारों मे, इनके आपसी रिश्ते तो वेंटिलेटर पर पहुँच चुके हैं, और अपने मनमुटाव दूर करने के लिए भी, प्रेस कान्फरेन्स को ज़रिया बनाया जा रहा है. ऐसे मे रिश्ते वेंटिलेटर पे दम तोड़ देते हैं या फिर उनको कोई संजीवनी मिल जाती है यह तो आने वाला वक़्त ही बताएगा. पर इतना तो ज़रूर है कि इस भागम भाग, इस तोड़ फोड़, इस लड़ाई झगड़े मे अगर कोई लुट रहा है, तो वो है दिल्ली वाले.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment