एमब्युलेन्स को रास्ता नही दिया तो 2000 का जुर्माना. बात तो बिल्कुल सही है. पर इस बात का जवाब कोन देगा कि आख़िर दिल्ली मे रास्ते है किधर. हर तरफ एंक्रोचमेंट, हर तरफ ट्रॅफिक जाम, इन्नर लेन्स मे तो ना ट्रॅफिक पोलीस, ना रेड लाइट, ना कोई देखने वाला, ना कोई सुनने वाला. ऐसे मे कोन रास्ता देगा और कोन चालान काटेगा ? मेन रोड्स पर तो इतनी भीड़ होती है पीक अवर्स मे कि आप एक इंच भी इधर से उधर नही हो सकते. तो फिर इस क़ानून का औचितय ही क्या है ? और अगर आप एमब्युलेन्स के आगे लगे कैमरे से चालान काटोगे तो आधी दिल्ली के चालान कट जाएँगे.
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