Sunday, October 2, 2011

आप तो नहीं चुका रहे पड़ोसी का बिल!


आप तो नहीं चुका रहे पड़ोसी का बिल!


2 Oct 2011, 0400 hrs ISTनवभारत टाइम्स
 
पूनम पाण्डे 
नई दिल्ली।। पड़ोसी के घर में इस्तेमाल होने वाले एसी का बिल कहीं आपके बिजली बिल में तो नहीं आ रहा है? दिल्ली में ज्यादातर लोगों के मीटर तक अलग न्यूट्रल नहीं दिया गया है जिस वजह से अगर पड़ोसी के यहां बिजली का ज्यादा इस्तेमाल हो रहा है तो मुमकिन है कि वह आपके मीटर में भी रिकॉर्ड हो रहा हो। इस तरह हो सकता है कि कम बिजली इस्तेमाल करने के बावजूद आपको बिजली का ज्यादा बिल देना पड़ रहा हो। 

डीईआरसी चलाएगी कैंपेन 
दिल्ली इलैक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी अथॉरिटी (डीईआरसी) ने भी यह बात मानी है कि हर मीटर तक अलग न्यूट्रल होना जरूरी है, नहीं तो इससे मीटर तेज भाग सकता है। डीईआरसी अब लोगों को जागरूक करने केे लिए कैंपेन चलाने की तैयारी कर रही है। डीईआरसी इस महीने के आखिर तक बुलेटिन जारी कर लोगों को बताएगी कि कई लोगों के पास एक ही न्यूट्रल होने पर क्या-क्या दिक्कतें हो सकती हैं। 

लंबे समय उठ रही हैं आवाजें 
तीन साल से दिल्ली के आरडब्लूए इस मसले को उठा रहे हैं कि रेसिडियल बैक फ्लो की वजह से मीटर तेज भाग रहे हैं और लोगों को 25 से 40 पर्सेंट तक बिल ज्यादा देना पड़ रहा है। डीईआरसी सदस्यों, मीटर टेस्टिंग एजेंसी, स्टेट अडवाइजरी कमिटी और आरडब्लूए की मीटिंग में यह मसला जोर-शोर से उठा। 

90 पर्सेंट के पास अलग न्यूट्रल नहीं 
स्टेट अडवाइजरी कमिटी के मेंबर अनिल सूद और ग्रेटर कैलाश-1 के आरडब्लूए प्रतिनिधि राजीव काकरिया ने कहा कि बिजली कंपनियों ने 90 पर्सेंट दिल्ली वालों को मीटर तक सेपरेट न्यूट्रल नहीं दिया है। बिजली कंपनियों ने भी माना कि थ्री फेज मीटर वाले उपभोक्ताओं को ही सेपरेट न्यूट्रल दिया गया है। लेकिन दिल्ली के ज्यादातर उपभोक्ताओं के पास सिंगल फेज मीटर है। 

पुराने मीटर में दिक्कत नहीं थी 
काकरिया ने बताया कि अगर तीन फ्लैट के मीटर में एक ही न्यूट्रल दिया गया है तो होसकता है कि सबसे कम बिजली खर्च करने वाले को भी ज्यादा बिल देना पड़ रहा हो।जब बिजली के तीन फेज में अलग अलग करंट फ्लो होता है तो इस असंतुलन को ठीककरने के लिए करंट न्यूट्रल में चला जाता है। यही रेसिडियल बैक फ्लो कहलाता है। यहसब कॉमन न्यूट्रल की वजह से हो रहा है। पहले जब मैकेनिकल मीटर लगे हुए थे तबइससे दिक्कत नहीं थी क्योंकि तब मीटर न्यूट्रल को रिकॉर्ड नहीं करता था लेकिनइलैक्ट्रॉनिक मीटर में न्यूट्रल भी रिकॉर्ड होता है। मीटर हमेशा ही उस फेज को रेकॉर्डकरता है जिसमें सबसे ज्यादा करंट हो। 

होगी चैकिंग 
डीईआरसी चेयरमैन पी डी सुधाकर ने कहा कि सिंगल फेज मीटर में कॉमन न्यूट्रलहोना चाहिए। मीटर तक इसकी जिम्मेदारी बिजली कंपनियों की है और उसके आगेकंस्यूमर को देखना चाहिए। हम चेकिंग भी कराएंगे कि बिजली कंपनियों ने मीटर तकसभी उपभोक्ताओं को सेपरेट न्यूट्रल दिए हैं या नहीं। 

कंस्यूमर्स के साथ धोखा 
ईस्ट दिल्ली आरडब्लूए फेडरेशन के प्रेजिडेंट अनिल वाजपेयी ने कहा कि डीईआरसी कोइसकी पूरी जांच करानी चाहिए। क्योंकि पिछले तीन सालों से जबसे इलैक्ट्रॉनिक मीटरलगे हैं तबसे कंस्यूमर 25 से 40 पर्सेंट ज्यादा बिल दे रहे हैं। मीटर तक सेपरेट न्यूट्रल देकर बिजली कंपनियों ने कंस्यूमर्स को धोखा दिया है। बिजली कंपनियों को यह पैसाउपभोक्ताओं को वापस करना चाह िए। 

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