Saturday, April 6, 2019

Why Delhi is the most polluted capital of the world ?

हेडगेवार हॉस्पिटल - पेशेंट्स का तो सिर्फ़ भगवान ही मालिक है

आज किसी के साथ हेडगेवार हॉस्पिटल जाना पड़ा. एक बार तो लगा ही नही की ये कोई हॉस्पिटल है. अंदर का महोल ऐसा था कि जैसे किसी छोटे से शहेर की किसी छोटी सी डिसपेनसरी मे आया हूँ. लगा ही नही की ये देश की राजधानी का एक बड़ा हॉस्पिटल है.


सबसे पहली मुलाकात हुई उस डॉक्टर से जो की कासुआलिटी मे उपस्थित था. उसका बोलने का लहज़ा ऐसा था की जैसे पत्थर मार रहा हो. उसके कहने पर हम एक दूसरे वॉर्ड मे गए. उधर हमारे पर्पस का कोई डॉक्टर ही नही था. शोर मचाने पर एक डॉक्टर आया लेकिन उसके आते आते एक पेशेंट भी आया जिसका शायद चार महीने पहले टाँग का ऑपरेशन हुआ था एक बाइक आक्सिडेंट के बाद और रॉड़ पड़ी थी. लेकिन उसकी हड्डी ग़लत जुड़ी हुई थी जिस कारण उसको भारी तकलीफ़ हो रही थी. उस पेशेंट का कहना था की प्राइवेट हॉस्पिटल 75 हज़ार माँग रहे हैं जो की उसके पास नही हैं.

खैर मेरे लहजे से डॉक्टर्स को कुछ शक हो गया और वो थोड़ा आक्टिव हो कर काम करने लगे. हमारे साथ गए पेशेंट का भी ट्रीटमेंट हुआ लेकिन डॉक्टर खुद परेशान था. बोलने लगा की वो हड्डी ग़लत इसलिए जुड़ी होगी क्योंकि हॉस्पिटल मे रिक्वाइयर्ड इन्स्ट्रुमेंट्स ही नही हैं. अब बिना इन्स्ट्रुमेंट्स और बिना प्रॉपर दवाइयों के कोई कैसे इलाज करे?

उस डॉक्टर का कहना था की OT मे काफ़ी समय से तीन डॉक्टर कम हैं और इंटरव्यू भी नही हो रहे. लोगों ने बताया की माइनर OT बंद पड़ी है और ऑपरेशन के समय चलने वाली स्क्रीन भी खराब है. डॉक्टर्स का कहना था की दवाइयाँ होती ही नही हैं तो लिखें क्या. लेकिन अगर कोई मीडीया वाला आके पूछेगा तो रिज़र्व मे रखी दवाइयों मे से निकल कर दिखा देंगे की दवाई तो है जबकि पेशेंट्स को देने के लिए दवाई नही है. 

डॉक्टर्स का यह भी कहना था की सिर्फ़ जो दवाई उपलब्ध होती है उसीको लिखना पड़ता है चाहे उससे इलाज मे देर हो जाए. बहुत सी दवाइयाँ तो सिर्फ़ दिखाने के लिए रिज़र्व मे होती हैं, असल मे आती ही नही. लोगों का तो यह भी कहना था की एक्सपाइर होने वाली दवाइयाँ सस्ते दामों पर मंगाई जाती हैं और अक्सर वो दवाइयाँ भी उपलब्ध नही होती.

अब अगर दिल्ली सरकार के बड़े बड़े दावों के बाद भी देश की राजधानी के एक बड़े सरकारी हॉस्पिटल का यह स्टेटस है की वो किसी देहात का अस्पताल लगे तो फिर सरकार की कारय परनाली पर सवाल उठने तो लाजिमी हैं क्योंकि पेशेंट्स का तो सिर्फ़ भगवान ही मालिक है.

Monday, April 1, 2019

What should be the minimum parking charges to decongest the city?

When we oppose the proposed parking policy, we are tagged as FREELOADERS with IRRATIONAL FEARS, without even giving a thought that for the last over 30 years, we are parking our own car, inside our own home, as it has ample space for more than one car inside. We are still opposing the so-called proposed parking policy, even though, even at this minute, there are two cars parked outside, by my neighbours in front of my home.


But still considering yours a fruitful proposal for the city, can you just tell us that what should be the minimum parking charges for parking our own car, outside our own home, to decongest this most polluted city? Please elaborate by saying that how soon the city will become, pollution & congestion free after the imposition of the said parking charges?


Awaiting your reply.

Thanks,

B S Vohra

आपके अपने घर के बाहर, आपकी अपनी कार खड़ी करने पर भी पार्किंग चार्जस क्यों ?

दोस्तो, अगर सब कुछ इसी तरह से चलता रहा तो जल्द ही आपको आपके अपने घर के बाहर, आपकी अपनी कार खड़ी करने पर भी पार्किंग चार्जस देने होंगे. अभी तो वो सिर्फ़ कार की बात ही कर रहे हैं, लेकिन अगर यह पॉलिसी बन जाती है तो शायद आपको अपनी स्कूटी खड़ी करने पर भी पार्किंग चार्जस देने पड़ सकते हैं.


अब ये पार्किंग चार्जस कितने होते हैं, यह तो वक़्त ही बताएगा क्योंकि इसमे दिन के चार्जस हैं, नाइट चार्जस हैं, पीक चार्जस हैं, ऑफ पीक चार्जस हैं और इसी तरह से जब पोल्यूशन ज़्यादा होने पर पार्किंग चार्जस को चार गुना कर दिया जाता है, वो भी होना तय है. इन सब का रोज का टोटल कितना बैठेगा और पूरे महीने का कितना होगा, ये अभी सॉफ होना बाकी है. इसके साथ साथ अगर आपके घर कोई मेहमान आते हैं तो शायद उनकी कार की पार्किंग चार्जस भी देनी पड़ सकती है.

उनका कहना है की ऐसा करने से दिल्ली से पोल्यूशन ख़तम हो जाएगी और ट्रॅफिक जाम भी ख़तम हो जाएगा. हालाँकि इसको माननीय सुप्रीम कोर्ट ने तो रिजेक्ट कर दिया है लेकिन EPCA ने एक बार फिर से कुछ ग्रूप हाउसिंग सोसाइटीस का बयोरा देते हुए सुप्रीम कोर्ट को लिखा है जबकि ग्रूप हाउसिंग सोसाइटीस और प्लॉटेड कॉलोनीस मे ज़मीन आसमान का फरक होता है.

हम लोग भी इसका खुला विरोध कर रहे हैं क्योंकि यह टेक्निकली ग़ल्त है.  हमारे घर के आगे की जगह पर सिर्फ़ हमारा हक़ है.  ये पार्किंग चार्ज अगर लगता है तो ये सिर्फ़ एक रेवेन्यू जेनरेशन का तरीका बन के रह जाएगा जिससे की रेसिडेंट्स को हरास किया जा सके.   लेकिन दुख इस बात का है कि हमारी ही कुछ friendly RWA बॉडीस इसका समर्थन कर रही हैं.  यक़ीनन हम लोगों को अपनी आवाज़ बुलंद करनी होगी, वरना जल्द ही सरकारी एजेन्सीस हम लोगों से ये पार्किंग शुल्क वसूलना शुरू कर देंगी. बाकी बातें और टेक्निकॅलिटीस, जल्द ही आपसे शेयर करेंगे, लेकिन तब तक, आप अपनी विचारधारा तो ज़रूर बताइए.

Saturday, March 30, 2019

But why at all the Parking charges from the residents?









But why at all the Parking charges from the residents? How it will resolve the pollution issues? Why don't they restrict the number of vehicles per family? 

Even the Hon'ble SC had rejected the idea, saying not feasible.

We will oppose it. Please let us have your opinion too. Must answer. Please reply by Email - rwabhagidari@yahoo.in

Wednesday, March 27, 2019

Problems of East Delhi highlighted

Live Hindustan - Expecting much more from our Elected representatives for this city. The Ghazipur landfill site is a real nuisance, polluting air, soil & underground water. Only one parking at Krishna Nagar is not at all sufficient for the entire east Delhi.


Friday, March 15, 2019

Feeding India - Happy Fridge - installed

Elanpro Fridge - Feeding India - Happy Fridge - installed at Gurudwara Krishna Nagar through East Delhi RWAs Joint Front - Federation.