नई दिल्ली। बिजली वितरण कंपनी बीएसईएस यमुना और राजधानी के खातों की जांच से पहले बिजली दरों में 5 फीसद की बढ़ोतरी करना न्याय संगत नहीं है। पहले बिजली वितरण कंपनियों के साथ-साथ बिजली उत्पादन कंपनियों के खातों की जांच कराई जाए। उत्पादन कंपनियों द्वारा दरों में बढ़ोतरी से वितरण कंपनियों को राजस्व की हानि हुई हो तो दरें बढ़ाई जाएं, अन्यथा बढ़ी दरें वापस ली जाएं। यह मांग पूर्वी दिल्ली आरडब्ल्यूए ज्वाइंट फोरम के अध्यक्ष बीएस वोहरा ने डीईआरसी को शिकायती पत्र भेजकर की है।
with thanks : Rashtriya Sahara : LINK
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Tuesday, February 7, 2012
बिजली दरों में बढ़ोत्तरी उचित नहीं
Monday, February 6, 2012
MCD proposal to assist RWAs
Dear
Mr. Vohra ji,
It
is really surprising that the MCD, on the one hand professes starvation of
funds but on the other, willing to dole out Rs.1,000/- p.m. per RWA for meeting
incidental expenditure etc. Of course, this is something novel and innovative and
a wasteful and unproductive exercise and expenditure! Notwithstanding, we
welcome the proposal of financial assistance to the RWAs being contemplated by
the MCD. But I wonder whether it is an election stunt to fetch votes of RWAs
and their members or really serious about it. It is also not known wherefrom
they will get the funds for this purpose and how long the proposal will
survive!
In
this context I would like to mention the pattern of financial assistance in
vogue to the National Sports Federations recognized by the Union Ministry of
Sports, GOI. In this case the NSFs could appoint Assistant Secretaries in
consultation with and approval of the Ministry of Sports, who would be the main
secretarial staff in each Federation and supposed to maintain liaison between
the NSF and the MOS and on paper answerable to the MOS although the truth is,
to the contrary! In such cases the salaries of such Assistant Secretaries are
borne by the MOS under the ‘financial assistance scheme of the MOS’. Besides,
the MOS also extend financial assistance to the NSFs for training of National
teams and sending teams abroad, meeting the expenditure thereon towards board
and lodging, air passage, daily out of pocket allowance etc.
On
the same lines, I would recommend that since most of the RWAs have no place for
their offices etc. financial assistance may be extended on the pattern of the
MOS towards the salary of the secretarial assistance etc., so that we could
ensure that the RWAs do not suffer on this account and this would also lead to
strengthening the secretarial functions of the RWAs, which are essential to the
services being rendered by them. The office secretary, so appointed, shall be
held responsible for correspondence with the Govt. agencies in particular,
maintenance and audit of accounts and ensure that all the relevant provisions
of the Cooperative Societies Act and Rules, including the bye-laws of the
respective RWA are observed/complied with. He/she will also be held
responsible/answerable to RCS/MCD officials at an appropriate level and
function under the overall administrative control of the Hony.
Secretary/President of the RWA concerned. This will, besides improving the administrative
functioning of the RWAs, be of great help/assistance to the office-bearers of
the RWAs. Can we think on these lines to strengthen the functioning of the RWAs
which will reap immense benefit to all concerned!
With deep regards,
TK
Balu
Secretary/RBECHS/Anand
Vihar
आपके बिजली बिल में है नो करंट टाइम?
नई दिल्ली।। बिजली कंपनियां दिल्ली इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (डीईआरसी) के निर्देश नहीं मान रही हैं। डीईआरसी ने बिजली कंपनियों को निर्देश दिए थे कि बिजली बिल में यह जानकारी दी जाए कि कितने समय तक बिजली गुल रही। यानी बिल में एक कॉलम 'नो करंट टाइम' के नाम से होना चाहिए, जिसमें यह जिक्र होना चाहिए कि उस महीने कितनी देर बिजली नहीं रही। निर्देश के बावजूद बिल में इसका जिक्र नहीं किया जा रहा है। कुछ उपभोक्ताओं ने इसकी शिकायत डीईआरसी से की है।
करीब डेढ़ साल पहले डीईआरसी ने इस संबंध में बिजली कंपनियों को निर्देश दिए थे, जिसके बाद बिजली कंपनी बीएसईएस ने कुछ महीनों तक बिल में इसकी जानकारी दी। बाद में फिर इस निर्देश की अनदेखी होने लगी। पटपड़गंज आंत्रप्रेन्योर असोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी एस. के. माहेश्वरी ने डीईआरसी को पत्र लिखकर इसकी शिकायत की है। उन्होंने कहा कि सितंबर, अक्टूबर, नंवबर में जमकर बिजली कटौती हुई, लेकिन किसी भी बिल में नो करंट टाइम नहीं बताया गया। उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियों पर एक लिमिट से ज्यादा बिजली कटौती करने पर पेनल्टी लगने का प्रावधान है, इसलिए बिजली कंपनियां जानकारी छिपा रही हैं। एक्टिविस्ट अनिल सूद ने कहा कि डीईआरसी उन नियमों को लागू करने में हमेशा ही असफल दिखता है, जो कंस्यूमर के हित में होती हैं। उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियां और डीईआरसी बस एक-दूसरे के बारे में सोचते हैं और कंस्यूमर के हितों से इन्हें कोई लेनादेना नहीं है।
with thanks : NavBharat Times : LINK for detailed news.
करीब डेढ़ साल पहले डीईआरसी ने इस संबंध में बिजली कंपनियों को निर्देश दिए थे, जिसके बाद बिजली कंपनी बीएसईएस ने कुछ महीनों तक बिल में इसकी जानकारी दी। बाद में फिर इस निर्देश की अनदेखी होने लगी। पटपड़गंज आंत्रप्रेन्योर असोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी एस. के. माहेश्वरी ने डीईआरसी को पत्र लिखकर इसकी शिकायत की है। उन्होंने कहा कि सितंबर, अक्टूबर, नंवबर में जमकर बिजली कटौती हुई, लेकिन किसी भी बिल में नो करंट टाइम नहीं बताया गया। उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियों पर एक लिमिट से ज्यादा बिजली कटौती करने पर पेनल्टी लगने का प्रावधान है, इसलिए बिजली कंपनियां जानकारी छिपा रही हैं। एक्टिविस्ट अनिल सूद ने कहा कि डीईआरसी उन नियमों को लागू करने में हमेशा ही असफल दिखता है, जो कंस्यूमर के हित में होती हैं। उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियां और डीईआरसी बस एक-दूसरे के बारे में सोचते हैं और कंस्यूमर के हितों से इन्हें कोई लेनादेना नहीं है।
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नई बिजली दरें हो रही हैं तय, बढ़ेगा टैरिफ
नई दिल्ली।। दिल्ली वालों को बिजली कीमतों के झटके के बीच बिजली की नई दरें तय करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। बिजली कंपनियों ने एनुअल रेवेन्यू रिक्वायरमेंट (एआरआर) दिल्ली इलैक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमिशन (डीईआरसी) को दाखिल कर दिया है। जिसके आधार पर डीईआरसी तय करेगी कि नया टैरिफ क्या होगा। वैसे नए टैरिफ में दरें बढ़ने की पूरी संभावना है क्योंकि डीईआरसी पहले ही कह चुकी है कि 3299 करोड़ का रेवेन्यू गैप पूरा करने की कोशिश होगी। साथ ही बचा हुआ फ्यूल सरचार्ज भी नए टैरिफ में जोड़ा जाएगा।
बिजली कंपनियों के एआरआर को स्वीकार करने के बाद डीईआरसी इसे वेबसाइट में डालेगी। ताकि सभी लोग इसे देखकर अपनी आपत्तियां दर्ज कर सकें। जिसके बाद जन सुनवाई होगी और डीईआरसी बिजली की नई दरें घोषित करेगी। भले ही बिजली कंपनियों के अकाउंट पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं लेकिन बिजली दरों में बढ़ोतरी की पूरी संभावना है।
डीईआरसी चेयरमैन पी. डी. सुधाकर ने बताया कि बिजली कंपनियों ने फ्यूल सरचार्ज 9 से 12 पर्सेंट तक मांगा था जो इन्होंने बिजली उत्पादन कंपनियों को अक्टूबर से दिसंबर तक दिया है। हमने 5 पर्सेंट फ्यूल सरचार्ज की इजाजत दी जो उपभोक्ताओं से फरवरी से अप्रैल तक के बीच वसूला जाएगा। बाकी फ्यूल सरचार्ज का क्या होगा? क्या यह बढ़ा-चढ़ा कर क्लेम किया गया है यह पूछने पर सुधाकर ने कहा कि बाकी बचा फ्यूल सरचार्ज हम नए टैरिफ में एडजस्ट करेंगे क्योंकि बिजली कंपनियों ने टैरिफ पिटीशन दाखिल की है और अब इसकी प्रक्रिया शुरू होगी।
डीईआरसी चेयरमैन की बात से साफ है कि बचा हुआ 5 पर्सेंट फ्यूल सरचार्ज टैरिफ बढ़ोतरी के रूप में सामने आएगा। जब पिछले साल अगस्त में टैरिफ घोषित किया गया था तब डीईआरसी सदस्यों ने कहा था कि रेवेन्यू गैप को देखते हुए टैरिफ में बढ़ोतरी काफी कम है। इस बढ़ोतरी के बाद भी 3299 करोड़ रुपये का रेवेन्यू गैप है। जिसे अगले पांच सालों में पूरा किया जाएगा। यानी इस बार जब टैरिफ तय होगा तो इस रेवेन्यू गैप को भरने की कोशिश होगी। हालांकि आरडब्लूए और एक्टिविस्ट इस पर सवाल उठा रहे हैं।
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बिजली कंपनियों के एआरआर को स्वीकार करने के बाद डीईआरसी इसे वेबसाइट में डालेगी। ताकि सभी लोग इसे देखकर अपनी आपत्तियां दर्ज कर सकें। जिसके बाद जन सुनवाई होगी और डीईआरसी बिजली की नई दरें घोषित करेगी। भले ही बिजली कंपनियों के अकाउंट पर लगातार सवाल उठाए जा रहे हैं लेकिन बिजली दरों में बढ़ोतरी की पूरी संभावना है।
डीईआरसी चेयरमैन पी. डी. सुधाकर ने बताया कि बिजली कंपनियों ने फ्यूल सरचार्ज 9 से 12 पर्सेंट तक मांगा था जो इन्होंने बिजली उत्पादन कंपनियों को अक्टूबर से दिसंबर तक दिया है। हमने 5 पर्सेंट फ्यूल सरचार्ज की इजाजत दी जो उपभोक्ताओं से फरवरी से अप्रैल तक के बीच वसूला जाएगा। बाकी फ्यूल सरचार्ज का क्या होगा? क्या यह बढ़ा-चढ़ा कर क्लेम किया गया है यह पूछने पर सुधाकर ने कहा कि बाकी बचा फ्यूल सरचार्ज हम नए टैरिफ में एडजस्ट करेंगे क्योंकि बिजली कंपनियों ने टैरिफ पिटीशन दाखिल की है और अब इसकी प्रक्रिया शुरू होगी।
डीईआरसी चेयरमैन की बात से साफ है कि बचा हुआ 5 पर्सेंट फ्यूल सरचार्ज टैरिफ बढ़ोतरी के रूप में सामने आएगा। जब पिछले साल अगस्त में टैरिफ घोषित किया गया था तब डीईआरसी सदस्यों ने कहा था कि रेवेन्यू गैप को देखते हुए टैरिफ में बढ़ोतरी काफी कम है। इस बढ़ोतरी के बाद भी 3299 करोड़ रुपये का रेवेन्यू गैप है। जिसे अगले पांच सालों में पूरा किया जाएगा। यानी इस बार जब टैरिफ तय होगा तो इस रेवेन्यू गैप को भरने की कोशिश होगी। हालांकि आरडब्लूए और एक्टिविस्ट इस पर सवाल उठा रहे हैं।
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Sunday, February 5, 2012
DISCOMs, Unexplained discrepancies & DERC
DISCOMs : They just want to raise the Tariff more n more to gain the maximum as they are the business houses with no social motives or intentions.
UNEXPLAINED DISCREPANCIES : We spent a lot of time & found as below from the DERC documents :
UNEXPLAINED DISCREPANCIES : We spent a lot of time & found as below from the DERC documents :
Revenue collection :
How the revenue collection in April
& May can be just 82.36%
and 78.44% in case of BRPL & 61.37% ( ? ) and 79.24% in case of BYPL. Where is rest of the money ? What is
the actual amount being said to be not collected ? Do they mean they have
GIFTED the rest of the money to consumers ? Do they mean, they had targeted
collections in the rest of the months ? If yes, how they could not collect it
in April & May ? This needs to be checked thoroughly as the collection
efficiency is said to be 92.6% & 89.2% respectively, in case of both
Discoms.
How the revenue collected in both of
the cases i.e. BRPL & BYPL in April is about 40% of the
average of rest of the months. Was there any strategy to show lower collections
? What is the actual difference in monetary terms ?
Billing :
There is a clear indication that the
game has been played with the consumers in the month of April & May. The billed units were
lesser by 100 MUs & 60
MUs in case of BRPL / BYPL in the same period during
last year. Moreover, the
Billed units in April were 167 MUs lesser
than the energy sold by BRPL in March, same year. How the Billed units can be
lesser by 167 MUs from March to April in the
same year ? This needs to be checked thoroughly as it has raised many
doubts on the working of Discom’s. Billing for rest of the months MUST ALSO BE thoroughly
rechecked.
Purchase cost :
How the power cost can be raised from
297 Crores to 648 crores in case of BRPL & from 216 Crores to 466 crores in
case of BYPL during April to November i.e. in a span of just 6 – 8 months ? It’s said the increase was by 117% & 116% respectively in
both the cases. Do you think it matches the national price index ? What was the
percentage of increase in the last few years ? Is the increase exhibited now,
in the same ratio as that of in earlier years ? What the Auditors have
mentioned over it ?
SHOCKING :
It’s even more surprising that in case
of both the utilities, the power purchase cost during the month shown in one
statement does not match with the corresponding cash flow statements. It
clearly indicates the quantum
of misappropriations in the DISCOM’s and must be
thoroughly investigated.
AT & C Losses :
DERC earlier vide its circular had indicated
AT&C losses reduced to just 14% to 20% for various Discoms. Than how these
have been increased upto 27.36% & 32.28% in both the cases. This must be
checked thoroughly as it can have a massive impact on the visible profitability of DISCOM’s.
Collection targets :
Where is the rest of appx. 10% &
7% of the billed amount to be collected. Is it being shown in the Sundry
Debtors or they have written it off as bad debts ?
These are the clear cut indications of the anomalies
existing in these DISCOM’s and we are sure that there is a big loophole in the
whole story.
DERC : Even though, RWA delegations during various public hearings raised dozens of objections, still the DERC allowed DISCOMs to raise tariffs by almost 22%. Again after locating so many UNEXPLAINED DISCREPANCIES in the Audited accounts of these business houses, it again allowed them to increase the tariff by 5% on the name of Fuel surcharge.
Please comment.
Thanks
B S Vohra
www.RWABhagidari.blogspot.in
RWABhagidari blog domain is now www.RWABhagidari.blogspot.in instead of www.RWABhagidari.blogspot.com. It seems the ID has been changed automatically after the intervention of Govt. for the control on the social media. Therefore, please note the FRESH DOMAIN though, still for the time being, the blog is opening on both of the Domains.
Thanks & Regards
B S Vohra
www.RWABhagidari.blogspot.in
www.RWABhagidari.com
Discoms not okay with DERC plan
NEW DELHI: Discoms have asked for implementation of overall power purchase adjustment formula on a monthly basis in a recent tariff petition for financial year 2012-13. The reason for this, say sources, is that the discoms are not satisfied with the recent fuel adjustment formula granted to them by regulatory body Delhi Electricity Regulatory Commission (DERC).
This will pass on variations in power cost to consumers every month. Discoms say fuel adjustment formula was limited to certain generation stations and did not cover fixed and variable costs they had to pay. "The power purchase adjustment formula is due on us following an order from the Appellate Tribunal of Electricity. Fuel adjustment is just a part of it,'' said a discom official.
The power companies, however,said that since they had made all long term tie-ups for power in 2012, there was little chance that cost of peak power procurement in summers would be passed on to consumers.
"All arrangements are long-term,'' said BSES officials. A verdict on their petition to DERC is expected in the coming months. DERC on Tuesday brought about a 5% hike in tariff across the city to adjust power purchase costs for distribution licensees. The new hike will come into effect from February 1 and will be charged for three months ending April 30, 2012, following which the process for fuel price adjustment for next three months will be again initiated.
with thanks : TOI : LINK for detailed news.
Jor Bagh, Golf Links RWAs get sole rights to NDMC centres
Two of the most upscale societies in the Capital have been able to reserve their rights for exclusive use of the New Delhi Municipal Council (NDMC) community centres.
Resident Welfare Associations of Jor Bagh and Golf Links (RWAs) have secured the rights for the NDMC community centres in its localities. Amit Prasad, director of NDMC’s Welfare department, said, “We have agreed to hand over the community centres to the respective RWAs as they have requested for exclusive rights.”
Officials said similar requests in the future would be decided only on merit basis.
“Reserving rights to community centres means people would not be able to book Golf Links and Jor Bagh centres for activities. We found their demands worthy of acceptance as they are gated communities and have agreed to pay money and share the electricity expenses,” said a Welfare department official.
These two community centres are permitted for the use of RWA members for all activities related to sports, social, cultural programmes and association get-togethers, which the RWA may decide from time to time, the official added.
with thanks : TOI : LINK for deailed news.
Saturday, February 4, 2012
Friday, February 3, 2012
5% Power tariff rise by DERC on Fuel charge : Delhi AajTak
East Delhi RWAs Joint Front
( A Federation of RWAs )
www.RWABhagidari.blogspot.com
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