1 अप्रैल 2017 से नया कारोबारी साल शुरू हो जाएगा और सरकारी नियम-कायदों में कई बदलाव भी लागू हो जाएंगे. इन्हीं में हमारे-आपके जानने के लिए जरूरी हैं इनकम टैक्स के नियम. अगर आप टैक्स प्लानिंग और टैक्स बचत को लेकर सजग रहते हैं, तो आपको 1 अप्रैल से बदलने वाले नए नियमों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. इन बदलावों को हम मोटे तौर पर दो भागों में बांट सकते हैं. पहला- इनकम टैक्स रिटर्न भरने के नियम, और दूसरा- इनकम टैक्स की गणना के नियम.
इनकम टैक्स रिटर्न भरने वाले याद रखें:
1. इनकम टैक्स रिटर्न भरने वालों के लिए एक बड़ा और अहम बदलाव ये किया गया है कि अब उन्हें अपना आधार नंबर बताना अनिवार्य होगा. पिछले साल तक रिटर्न भरने वालों के लिए आधार नंबर देना ऐच्छिक था. आम तौर पर इनकम टैक्स रिटर्न भरने की अंतिम तारीख 31 जुलाई होती है, तो बेहतर होगा कि जिन टैक्सपेयर्स के पास आधार नहीं है, वो इसे जल्द से जल्द बनवा लें.
2. इनकम टैक्स रिटर्न से जुड़ा एक और बड़ा बदलाव सरकार ने नए वित्त वर्ष 2017-18 से किया है, जिसमेंरिटर्न भरने में देरी होने पर पेनल्टी का प्रावधान है. इस प्रावधान के मुताबिक वित्त वर्ष 2017-18 का टैक्स रिटर्न अगर 31 दिसंबर तक ना भरा जाए तो 5,000 रुपए का जुर्माना लगेगा. 31 दिसंबर के बाद रिटर्न दाखिल करने पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगेगा. हालांकि 5 लाख रुपए तक इनकम वाले टैक्सपेयर्स के लिए ये पेनल्टी 1,000 रुपए की होगी.
3. सालाना 50 लाख रुपए तक टैक्सेबल इनकम वाले नौकरीपेशा टैक्सपेयर्स को अब एक पेज का ही टैक्स रिटर्न फॉर्म भरना होगा. उनकी आय का स्रोत सिर्फ सैलरी और एक घर से रेंटल इनकम हो सकती है. अगर आय का कोई और स्रोत होगा तो एक पेज का फॉर्म भरने की इजाजत नहीं होगी. साथ ही, जो लोग 5 लाख तक कमाते हैं और जो पहली बार रिटर्न भरेंगे, उन्हें स्क्रूटनी के दायरे से बाहर रखा जाएगा.
अब बात उन बदलावों की जो आपके टैक्स की गणना से जुड़े हैंः
1. सालाना 2.5 लाख से 5 लाख रुपए तक कमाने वालों को 10 प्रतिशत की बजाए 5 प्रतिशत टैक्स देना होगा. इससे ज्यादातर करदाताओं को 12,500 रुपए तक की सालाना बचत होगी. हालांकि जिन लोगों की आमदनी एक करोड़ या इससे ज्यादा है, अगर उन पर लगने वाला सरचार्ज और सेस जोड़ लिया जाए तो उनकी बचत करीब 15,000 रुपए की होगी.
2. सेक्शन 87ए के तहत मिलने वाली टैक्स रिबेट के नियमों में बदलाव के बाद अब सालाना 3.5 लाख रुपए तक कमाने वालों को ही इसका फायदा मिलेगा. अभी तक 5 लाख तक की आमदनी वाले टैक्स रिबेट के रूप में 5,000 तक का फायदा पाते थे. छूट की रकम भी घटाकर 2,500 रुपए कर दी गई है.
3. 50 लाख से 1 करोड़ रुपए सालाना कमाने वालों को टैक्स पर 10 प्रतिशत सरचार्ज अतिरिक्त देना होगा. सुपर रिच यानी 1 करोड़ से ज्यादा कमाने वाले लोग पहले से ही 15 प्रतिशत सरचार्ज देते हैं.
4. प्रॉपर्टी के निवेशकों को भी नए वित्त वर्ष से ज्यादा टैक्स छूट मिल सकेगी. अब लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की गणना के लिए 3 साल की बजाय सिर्फ 2 साल तक ही प्रॉपर्टी रखना जरूरी होगा. नए नियम के तहत 2 साल पुरानी प्रॉपर्टी बेचने पर टैक्सपेयर्स को इंडेक्सेशन के साथ 20 प्रतिशत की दर से टैक्स देना होगा. हालांकि अगर कैपिटल गेन का फिर से निवेश किया जाए तो इस टैक्स से भी छूट मिल जाएगी.
5. यही नहीं, इंडेक्सेशन के लिए सरकार ने बेस ईयर या आधार वर्ष भी अब 1 अप्रैल 2001 कर दिया है. पहले ये 1 अप्रैल 1981 था. इस बदलाव की वजह से प्रॉपर्टी बेचने पर कैपिटल गेन कम होगा जिससे टैक्स देनदारी काफी कम हो जाएगी.
6. राजीव गांधी इक्विटी सेविंग स्कीम में निवेश पर 2017-18 से टैक्स राहत नहीं मिलेगी. हालांकि जिन लोगों ने वित्त वर्ष 2016-17 तक इसमें निवेश किया होगा, उन्हें स्कीम के नियमों के तहत छूट का फायदा मिलता रहेगा.
7. अगर आपके एक से ज्यादा घर हैं तो नए वित्त वर्ष से आप हाउस प्रॉपर्टी से अधिकतम 2 लाख रुपए का घाटा दिखा सकेंगे. पहले इस घाटे की कोई सीमा नहीं थी. नियम बदलने के बाद किराये पर घर देने वालों को भी उतनी ही छूट मिलेगी, जितनी सेल्फ-ऑक्युपाइड प्रॉपर्टी वालों को मिलती है.
with THANKS : TheQuint : LINK : for detailed report.
No comments:
Post a Comment