ओउम, कहने को हमारा देश लोकतंत्र राष्ट्र है लेकिन वास्ता में राजतन्त्र पूंजीवाद तंत्र है , और उसका प्रमाण राजसभा है , जो की एक लोकतान्त्रिक देश में नहीं होना चाहिए, कियोकी राजसभा के सदस्य राष्ट्र की जनता द्वारा नहीं चुने जाते वे अपनी पूंजी के प्रभाव से राजनेतिक पार्टियों द्वारा सीधे सता में राज करने का अवसर प्राप्त करते है , और सता में आने पर लोक सभा को भी अपनी शक्ति से प्रभावित हावी हो जाने का प्रयतन करते है , और केवल अपने विय्क्तिगत व अपने उद्योग जगत के गुट व शाथियो के ही स्वार्थ सिद्ध करते है और मन मानी करते है यही से सर्व प्रथम भ्रष्टाचार आरंभ होता है! मेरा मानना है की किसीभी राष्ट्र में जहा लोकतंत्र हो राजसभा नहीं होनी चाहिए , हमारे देश में भी राजसभा समाप्त कर, केवल देश के लोगो द्वारा चुनी गई लोकशाही संसद में लोकसभा होनी चाहिए , लोकसभा की ५५२ सदस्य से बड़ा कर ७९५ कर दी जानी चाहिए !
वन्दे मातरम
"जगदीप यज्ञेरूप"
General secretory
Adarsh Residence welfare Association
Raj Nager Palam
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