ये कैसी राजनीति चल रही है. हर कोई अपनी पार्टी लाइन पे चल कर अपने नंबर बनाने मे लगा हुआ है. देश हित से किसी को कोई भी मतलब नही. अगर आपकी पार्टी ने कह दिया कि समर्थन करना है तो सभी समर्थन के नारे लगाने लगते हैं और अगर आपकी पार्टी ने कह दिया कि विरोध करना है तो सभी विरोध करने लगते हैं. यानी कि इस देश का भविषय हम देश के नागरिक तय नही करेंगे बल्कि वो राजनीतिक दल करेंगे जो पल पल मे, अपनी राजनीतिक जोड़ तोड़ मे, अपना दामन बदलते रहते हैं क्या कभी हम लोगों को अकल आएगी, या फिर भेड बकरियों की तरह, कोई ना कोई, हमेशा, हमे हांकता रहेगा ? सोच कर जवाब दीजिए.
बी एस वोहरा
Social Activist
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