केजरीवाल साहिब,
दो दिन पहले आपने दिल्ली की जनता के सामने एक चार्ट पेश किया दिल्ली के पोवेर टॅरिफ को लेकर.
मेरे कुछ सवाल हैं आपसे इस बारे मे:
मेरे कुछ सवाल हैं आपसे इस बारे मे:
1. क्या आप के यहाँ पोवेर टॅरिफ का प्रोजेक्षन इसी तरह से होता है कि अगर 2010 से 2013 मे किसी भी वजह से पोवेर टॅरिफ मे 70 - 72% का इज़ाफा हुआ था, तो 2013 से 2016 और 2016 से 2019 मे भी उसी रेट पर इज़ाफा होगा?
अगर आपका यही सिस्टम है तो क्या ये समझा जाए की आपने जो फिक्स्ड चार्जस के टॅरिफ मे 6 से 10 गुना का इज़ाफा किया था, अगले 6 सालों मे, आपकी पॉलिसी की तर्ज पर, ये इज़ाफा 18 से 30 गुना का हो जाएगा, यानी की दिल्ली की जनता को 18 से 30 गुना का फिक्स्ड चार्ज देना पड़ेगा?
और अगर आप ये बोलते हैं की वो इज़ाफा तो आप जुलाइ मे वापिस ले लेंगे, तो फिर पिछले 15 महीनों से दिल्ली वाले जो फिक्स्ड चार्जस का भारी भरकम लोड उठा रहे थे, उसका क्या होगा? क्या वो आपकी तरफ से डिस्कोमस को कोई गिफ्ट था? कोई डील थी? कोई समझोता था? अगर नहीं तो उस पैसे को, उस लगभग 5 से 7000 क्रोर की भारी भरकम रकम को वापिस दिलवाइए.
2. आपने यह तो बोल दिया की दिल्ली मे बिजली के रेट सबसे सस्ते हैं और उसे दर्शाने के लिए आपने 50 यूनिट्स का बिल 128 रुपये दिखा दिया. मैं आपसे यह पूछना चाहता हूँ की बिजली कंपनीज़ को आप किस रेट पर पेमेंट करते हैं? अगर आप उपभिक्ता से 50 यूनिट्स के 128 रुपये लेते हैं तो क्या बिजली कंपनीज़ को भी आप 50 यूनिट्स के 128 रुपये देते हैं? अगर ऐसा है तो 1700 क्रोरे की सब्सिडी किस बात की दी जाती है?
मैं आपसे पूछना चाहता हूँ की वो 1700 क्रोरे की सब्सिडी क्या आप अपनी जेब से भरते हैं या फिर वो दिल्ली के लोगों के खून पसीने की कमाई होती है जिसे लोग विभिन्न्न टेक्स के रूप मे चुकाते हैं?
यानी की आप उपभोक्ताओं से तो 50 यूनिट्स के 128 रुपये लेते हैं, लेकिन बिजली कंपनीज़ को आप पूरी पेमेंट करते हैं. तो फिर दिल्ली मे बिजली सबसे सस्ती कैसे हो गई जबकि आप तो उसका पूरा भुगतान कर रहे हैं ?
3. आपने जो भी प्रोजेक्षन्स दिखाई हैं, वो सिर्फ़ 1 से 5 kW और 400 यूनिट्स तक की प्रोजेक्षन्स हैं जिन पर आपकी सब्सिडी लागू होती है. आपको चाहिए था की आप 5kW से उपर के सॅंक्षंड लोड पर भी, जैसे की 6, 7, 8, 9, 10kW, 15kW, 20kW, 25kW, 30kW, 35kW, 40kW, 50kW और उसके उपर के लोड की भी प्रोजेक्षन दिखाते.
इसके साथ साथ, 400 यूनिट्स क्रॉस होने पर जब सब्सिडी ख़तम हो जाती है, तो उसकी भी, जैसे की 600 यूनिट्स, 700 यूनिट्स, 800 यूनिट्स, 900 यूनिट्स, 1000 यूनिट्स, 1100 यूनिट्स, और उससे ज़्यादा यूनिट्स का भी प्रोजेक्षन दिखाते. लेकिन क्या आपको ऐसा नही लगता की आपने सिर्फ़ अपनी बात को सच दिखाने के लिए आधे अधूरे सच को गल्त ढंग से पेश किया है?
इसके साथ साथ, 400 यूनिट्स क्रॉस होने पर जब सब्सिडी ख़तम हो जाती है, तो उसकी भी, जैसे की 600 यूनिट्स, 700 यूनिट्स, 800 यूनिट्स, 900 यूनिट्स, 1000 यूनिट्स, 1100 यूनिट्स, और उससे ज़्यादा यूनिट्स का भी प्रोजेक्षन दिखाते. लेकिन क्या आपको ऐसा नही लगता की आपने सिर्फ़ अपनी बात को सच दिखाने के लिए आधे अधूरे सच को गल्त ढंग से पेश किया है?
4. हैरानगी इस बात की है की इतना सब कुछ गल्त तरीके से पेश करने के बाद भी, सिर्फ़ 1 से 5 kW और सिर्फ़ 400 यूनिट्स तक का प्रोजेक्षन दिखाने के बाद भी, और 1700 क्रोर की सब्सिडी देने के बाद भी, 1 से 5 kW की 400 यूनिट्स की प्रोजेक्षन मे भी आपके अपने रेट बड़े हुए दिखाई दे रहे हैं. आपकी अपनी रिपोर्ट आप को ही आईना दिखा रही है.
आप अपनी उसी प्रोजेक्षन वाले पेज को खोलिए और नीचे से शुरू हो जाइए, 1843 (2019) मे से 1370 (2015) घटाते घटाते, उपर की तरफ बडीए तो आप को सॉफ सॉफ दिखने लगेगा की इतने कुपर्चार के बाद भी, इतनी गल्त प्रोजेक्षन दिखाने के बाद भी, 1700 क्रोर की भारी भरकम सब्सिडी देने के बाद भी दिल्ली के लोगों को पहले से ज़्यादा पैसे देने पॅड रहे हैं?
आप अपनी उसी प्रोजेक्षन वाले पेज को खोलिए और नीचे से शुरू हो जाइए, 1843 (2019) मे से 1370 (2015) घटाते घटाते, उपर की तरफ बडीए तो आप को सॉफ सॉफ दिखने लगेगा की इतने कुपर्चार के बाद भी, इतनी गल्त प्रोजेक्षन दिखाने के बाद भी, 1700 क्रोर की भारी भरकम सब्सिडी देने के बाद भी दिल्ली के लोगों को पहले से ज़्यादा पैसे देने पॅड रहे हैं?
5. हाँ इस पूरी प्रोजेक्षन मे आपने एक बात बिल्कुल सच कही - the burden of subsidy has remained constant - क्योंकि सारे का सारा भार तो उपभोक्ताओं के उपर constant हैं. 50 यूनिट्स के लिए लोग अपनी जेब से 128 रुपये दें और बाकी का बिल आप डिस्कोमस को सब्सिडी देकर पूरा कर दो. तो फिर खरबूजा चाकू पर गिरे या फिर चाकू खरबूजे पर, कॅट्ना तो आख़िर खरबूजे को ही है ना.
अब वो बात अलग होती की आप दिल्ली के लोगों की सेवा करने की खातिर, डिसकम्स पर दबाव बनाते, उनके टॅरिफ को कम करवाते, ये 8 से 9000 क्रोर की सब्सिडी जो आप 5 सालों मे दे देंगे, उसे बचा लेते तो जाने कितने आधे अधूरे प्रॉजेक्ट्स पूरे हो जाते. जनता की भलाई की खातिर, CAG ऑडिट के लिए सुप्रीम कोर्ट मे अपील करते, लेकिन शायद सत्ता मे आने के बाद ऐसा करना मुमकिन नहीं होता और इसीलिए जनता को अपना दमन चक्र चला कर बदलाव करना पड़ता है.
आपकी अगली रिपोर्ट और प्रोजेक्षन की उड़ीक मे,
B S Vohra
President,
East Delhi RWAs Joint Front
www.RWABhagidari.com
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