हैरानगी हुई कि खुशी के मामले मे भारत अपने पिछले पायदान से गिर कर 118वें नंबर पे पहुँच गया. और तो और हमारे सारे पड़ोसी, खुशी के मामले मे हमारे से ऊपर नज़र आए. तो क्या कारण है कि सब कुछ होने के बाद भी, हम लोग खुशी के मामले मे नीचे जा रहे है ?
कहीं इसका कारण हरयाणा के रिज़र्वेशन के दंगे तो नही जिसमे 34,000 करोड़ का स्वाहा हो गया. जिसमे मुर्थल मे, महिलाओं को कारों से निकाल कर बलात्कार किए गए.
या फिर इसका कारण JNU के वो नारे तो नहीं जिन्होने सारे भारत को हिला कर रख दिया. एक बारगी तो विश्वास ही नही हो सका कि कैसे, अपने ही देश के लोग, अपने ही बच्चे, अपने ही देश की बर्बादी के नारे लगा सकते हैं.
कहीं इसका कारण यह तो नही कि वो लोग जो इस देश मे रहते हैं, बड़े ओहदों तक भी पहुँचते हैं, लेकिन भारत माता की जय कहने मे हिचकिचाते हैं और इसको एक बहेस का मुद्दा बना देते हैं.
या फिर इसका कारण यह भी हो सकता है कि दुनिया भर मे पेट्रोल के दाम घटने के बाद भी, क्यों हमारे देश मे पेट्रोल, डीजल, के दाम बड़ जाते हैं.
सभी जानते हैं की जब चिदंबरम साहिब ने दिल्ली मे MTNL पर 2% का सर्विस टॅक्स लगाया था, तो किसी को यह खबर नही थी कि कुछ ही सालों के बाद वो लगभग हर ज़रूरी चीज़ पे 15% की दर तक पहुँच जाएगा. शायद यही डर देश के सुनारों को भी सता रहा है जिनपर 1% की एक्साइस ड्यूटी थोप दी गई है.
शायद दालों के बड़ते दाम, प्रॉपर्टी के घटते दाम, बे -मौसम की बरसातें, किसानो की ख़ुदकुशी, नेताओं की बे फ़िजूल की बहसे, देश का एक अच्छा ग्रोथ रेट दिखाने के बाद भी, देश की खुशी का कारण नही बन सका है और शायद इसी कारण हम लोग खुशी मे पिछड़ते जा रहे हैं. इसके कारण ढूँदने निकलेंगे तो यकीन मानिए, जाने कितने पेज काले हो जाएँगे. लेकिन अब देखना तो यह है कि क्या उसके बाद भी, हम लोग, सच मे, खुश रहने के कारण को ढूंड पाएँगे ?
Please share your views on the issue as March 20th is the International Day of Happiness. Thanks. B S Vohra
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