सच मे आज हमारा सिर शर्म से झुक रहा है, हम अपने आप से भी आँखें मिला कर नही देख सकते क्योंकि वो दामिनी, वो निर्भया, आज भी हम सब से अपने कतल का इंसाफ़ माँग रही है. यक़ीनन, उसकी चीखें, उसकी सिसकियाँ, अब हमे रातो को सोने नही देंगी. ऐसा क्यों ? क्यों हम निर्भया को इंसाफ़ ना दे पाए ? क्यों हम मासूम बच्चियों पे होते हुए अत्याचार, रोक ना पाए ? अगर आज भी हमे शर्म ना आई तो फिर कब आएगी ?
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