Tuesday, March 20, 2012

29 रुपये खर्च करने वाला गरीब नहीं!

नई दिल्ली।। सरकार की मानें तो देश में गरीबी कम हो रही है। सोमवार को योजना आयोग ने इस संबंध में आंकड़े जारी किए। नए आंकड़ों के मुताबिक, रोजाना 28.65 रुपये खर्च करने वाला व्यक्ति गरीब नहीं है और साल 2009-10 में देश में गरीबी का अनुपात घटकर 29.8 पर्सेंट हो गया।

 आयोग ने विवादास्पद तेंडुलकर कमिटी की प्रणाली पर आधारित अपना ताजा आकलन पेश किया है। इसके मुताबिक, शहरी क्षेत्र में 859.60 रुपये प्रति महीने और ग्रामीण क्षेत्र में 672.80 रुपये प्रति महीने खर्च करने वाला व्यक्ति गरीब नहीं है। योजना आयोग ने इस आकलन में गरीबी रेखा को प्रति व्यक्ति 32 रुपये प्रतिदिन (शहरी क्षेत्र) और 26 रुपये प्रतिदिन (ग्रामीण क्षेत्र) की उस सीमा से भी नीचे रखा है, जिसे आयोग ने पिछले साल पेश किया था। जून 2011 की कीमतों पर आधारित इस आंकड़े के कारण खासा विवाद पैदा हो गया था।

आयोग ने कहा कि 2009-10 में भारत की गरीबी का अनुपात 29.8 फीसदी रहा। 2004-05 में देश में 37.2 फीसदी लोग गरीब थे। सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया कि 2004-05 से 2009-10 के बीच शहरी इलाकों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी का अनुपात तेजी से घटा है। वित्त वर्ष 2009-10 में देश में गरीबों की कुल संख्या 37.47 करोड़ रही, जो कि 2004-05 में 40.72 करोड़ थी।


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