पूनम पाण्डे ॥ नई दिल्ली
मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के बयान के बाद दिल्ली की सभी आरडब्ल्यूए ने मिलकर आर - पार की लड़ाई का मन बना लिया है। इनका कहना है कि अगर बिजली के रेट बढ़ाए गए तो वह फिर कोर्ट का सहारा लेंगे। वैसे आरडब्ल्यूए ने ऐसे तमाम दस्तावेज जुटा रखे हैं जिनसे साबित होता है कि बिजली कंपनियां भारी मुनाफे में हैं। बिजली कंपनी में उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक , डीईआरसी से उन्हें जो संकेत मिल रहे हैं उसके मुताबिक बिजली के दाम एक रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से बढ़ सकते हैं।
मुख्यमंत्री ने यह कहकर बिजली की कीमत बढ़ने के संकेत दे दिए कि बिजली की प्रॉडक्शन कास्ट काफी बढ़ गई है और चार सालों से रेट रिवाइज नहीं हुए हैं। दिल्ली की सभी आरडब्ल्यूए इस बयान से खफा हैं। ग्रेटर कैलाश -1 के आरडब्ल्यूए चेयरमैन राजीव काकरिया ने कहा कि मुख्यमंत्री के बयान से साफ है कि दिल्ली सरकार डीईआरसी को प्रभावित करने की कोशिश कर रही हैं। उनका बयान डीईआरसी के लिए साफ इशारा था कि बिजली के दाम बढ़ाए जाएं। राजीव ने कहा कि अगर गलत तरीके से बिजली के दाम बढ़ाए गए तो हम फिर कोर्ट का सहारा लेंगे। दिल्ली सरकार पहले कोर्ट में अपनी फजीहत करा चुकी है। उन्होंने कहा कि हमारे पास पक्के दस्तावेज हैं कि बिजली कंपनियां 3700 करोड़ रुपये से ज्यादा के फायदे में हैं। ऐसे में दाम बढ़ाने का सवाल ही कहा उठता है। दिल्ली की सभी आरडब्ल्यूए ने डीईआरसी के पास अपनी पिटिशन डाली है। हम पब्लिक हेयरिंग में साबित कर देंगे कि बिजली के दाम बढ़ाने नहीं , बल्कि घटाने की जरूरत है। एक्टिविस्ट नंद किशोर गर्ग ने कहा कि हमारी मांग है कि बिजली कंपनियों के अकाउंट की सीएजी से जांच कराई जाए। इससे सच सामने आ जाएगा। उनके सारे खरीद की बारीकी से जांच हो और बाकी बिजली बोर्ड से भी उनकी तुलना की जाए। क्योंकि सभी बिजली बोर्ड भी उसी दाम पर बिजली खरीद रही हैं। गर्ग ने कहा कि डीईआरसी मेंबर श्याम वाडरा को टैरिफ बनाने की प्रक्रिया से अलग किया जाना चाहिए। चूंकि वह पहले ही इस मामले में एक्सपोज हो चुके हैं कि वह बिजली कंपनियों के हित की बात करते हैं।
दूसरी तरफ बिजली कंपनियों का कहना है कि जब दूध से लेकर पेट्रोल तक के दाम बढ़ रहे हैं तो बिजली के क्यों नहीं ? उन्होंने कहा कि अगर डीईआरसी थोड़ा सोच समझकर टैरिफ बनाए तो जनता पर भी बोझ नहीं बढ़ेगा और बिजली कंपनियों का काम भी चलता रहेगा। एक अधिकारी ने कहा कि सभी सरकारी स्कूल और हॉस्पिटल को डोमेस्टिक रेट पर बिजली दी जाती है। आखिर सरकार को सब्सिडी की क्या जरूरत। वहां की छूट खत्म कर वह जनता को दी जा सकती है।
'40 पर्सेंट का लग रहा है चूना '
आरडब्ल्यूए ने डीईआरसी से शिकायत की है कि बिजली कंपनियां कंस्यूमर से 25 से 40 पर्सेंट ज्यादा बिल ले रही हैं। यह उनके मीटर की वजह से हो रहा है। राजीव काकरिया ने बताया कि पहले मिकैनिकल मीटर में न्यूट्रल वायर मीटर के रिकॉर्डिंग मैकेनिज्म से कनेक्ट नहीं होता था। जब नए इलैक्ट्रॉनिक मीटर लगाए तो न्यूट्रल वॉयर को भी रिकॉर्डिंग मैकेनिज्म से जोड़ दिया गया। आउट ऑफ बैलेंस की वजह से बिल ज्यादा आ रहा है। उन्होंने कहा कि हमने डीईआरसी से सभी एरिया के ट्रांसफॉर्मर की डिटेल मांगी है कि किससे कितनी बिजली सप्लाई की गई। इससे साबित हो जाएगा कि बिजली सप्लाई कम हुई और बिल ज्यादा आया। हम उनसे रिफंड की भी मांग कर रहे हैं।
with thanks : Nav Bharat Times : link above.
Submitted by : Sh D K Gupta ji.
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