Wednesday, October 9, 2013
Tuesday, October 8, 2013
मुन्ना नहीं मिला !
" एक सज्जन बनारस पहुँचे। स्टेशन पर उतरे
ही थे कि एक लड़का दौड़ता आया,
‘‘मामाजी! मामाजी!’’ — लड़के ने लपक कर
चरण छूए।
वे पहचाने नहीं। बोले — ‘‘तुम कौन?’’
‘‘मैं मुन्ना। आप पहचाने नहीं मुझे?’’
‘‘मुन्ना?’’ वे सोचने लगे।
‘‘हाँ, मुन्ना। भूल गये आप मामाजी! खैर,
कोई बात नहीं, इतने साल भी तो हो गये।
मैं आजकल यहीं हूँ।’’
‘‘अच्छा।’’
‘‘हां।’’
मामाजी अपने भानजे के साथ बनारस घूमने
लगे। चलो, कोई साथ तो मिला। कभी इस
मंदिर, कभी उस मंदिर। फिर पहुँचे
गंगाघाट। बोले कि "सोच रहा हूँ,
नहा लूँ!"
‘‘जरूर नहाइए मामाजी! बनारस आये हैं और
नहाएंगे नहीं, यह कैसे हो सकता है?’’
मामाजी ने गंगा में डुबकी लगाई। हर-हर
गंगे! बाहर निकले तो सामान गायब, कपड़े
गायब!
लड़का... मुन्ना भी गायब!
‘‘मुन्ना... ए मुन्ना!’’
मगर मुन्ना वहां हो तो मिले। वे
तौलिया लपेट कर खड़े हैं। ‘‘क्यों भाई
साहब, आपने मुन्ना को देखा है?’’
‘‘कौन मुन्ना?’’
‘‘वही जिसके हम मामा हैं।’’
लोग बोले, ‘‘मैं समझा नहीं।’’
‘‘अरे, हम जिसके मामा हैं वो मुन्ना।’’
वे तौलिया लपेटे यहां से वहां दौड़ते रहे।
मुन्ना नहीं मिला।
ठीक उसी प्रकार...
भारतीय नागरिक और भारतीय वोटर के
नाते हमारी यही स्थिति है!
चुनाव के मौसम में कोई आता है और हमारे
चरणों में गिर जाता है। "मुझे
नहीं पहचाना! मैं चुनाव का उम्मीदवार।
होने वाला। मुझे
नहीं पहचाना...?"
आप प्रजातंत्र की गंगा में डुबकी लगाते
हैं।
बाहर निकलने पर आप देखते हैं कि वह शख्स
जो कल आपके चरण छूता था, आपका वोट
लेकर गायब हो गया।
वोटों की पूरी पेटी लेकर भाग गया।
समस्याओं के घाट पर हम तौलिया लपेटे खड़े
हैं। सबसे पूछ रहे हैं — "क्यों साहब, वह
कहीं आपको नज़र आया? अरे वही, जिसके
हम वोटर हैं। वही, जिसके हम मामा हैं।"
पांच साल इसी तरह तौलिया लपेटे, घाट
पर खड़े बीत जाते हैं।
आगामी चुनावी स्टेशन पर भांजे
आपके इंतजार मे....."
ही थे कि एक लड़का दौड़ता आया,
‘‘मामाजी! मामाजी!’’ — लड़के ने लपक कर
चरण छूए।
वे पहचाने नहीं। बोले — ‘‘तुम कौन?’’
‘‘मैं मुन्ना। आप पहचाने नहीं मुझे?’’
‘‘मुन्ना?’’ वे सोचने लगे।
‘‘हाँ, मुन्ना। भूल गये आप मामाजी! खैर,
कोई बात नहीं, इतने साल भी तो हो गये।
मैं आजकल यहीं हूँ।’’
‘‘अच्छा।’’
‘‘हां।’’
मामाजी अपने भानजे के साथ बनारस घूमने
लगे। चलो, कोई साथ तो मिला। कभी इस
मंदिर, कभी उस मंदिर। फिर पहुँचे
गंगाघाट। बोले कि "सोच रहा हूँ,
नहा लूँ!"
‘‘जरूर नहाइए मामाजी! बनारस आये हैं और
नहाएंगे नहीं, यह कैसे हो सकता है?’’
मामाजी ने गंगा में डुबकी लगाई। हर-हर
गंगे! बाहर निकले तो सामान गायब, कपड़े
गायब!
लड़का... मुन्ना भी गायब!
‘‘मुन्ना... ए मुन्ना!’’
मगर मुन्ना वहां हो तो मिले। वे
तौलिया लपेट कर खड़े हैं। ‘‘क्यों भाई
साहब, आपने मुन्ना को देखा है?’’
‘‘कौन मुन्ना?’’
‘‘वही जिसके हम मामा हैं।’’
लोग बोले, ‘‘मैं समझा नहीं।’’
‘‘अरे, हम जिसके मामा हैं वो मुन्ना।’’
वे तौलिया लपेटे यहां से वहां दौड़ते रहे।
मुन्ना नहीं मिला।
ठीक उसी प्रकार...
भारतीय नागरिक और भारतीय वोटर के
नाते हमारी यही स्थिति है!
चुनाव के मौसम में कोई आता है और हमारे
चरणों में गिर जाता है। "मुझे
नहीं पहचाना! मैं चुनाव का उम्मीदवार।
होने वाला। मुझे
नहीं पहचाना...?"
आप प्रजातंत्र की गंगा में डुबकी लगाते
हैं।
बाहर निकलने पर आप देखते हैं कि वह शख्स
जो कल आपके चरण छूता था, आपका वोट
लेकर गायब हो गया।
वोटों की पूरी पेटी लेकर भाग गया।
समस्याओं के घाट पर हम तौलिया लपेटे खड़े
हैं। सबसे पूछ रहे हैं — "क्यों साहब, वह
कहीं आपको नज़र आया? अरे वही, जिसके
हम वोटर हैं। वही, जिसके हम मामा हैं।"
पांच साल इसी तरह तौलिया लपेटे, घाट
पर खड़े बीत जाते हैं।
आगामी चुनावी स्टेशन पर भांजे
आपके इंतजार मे....."
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Please view pics from our campaign during MCD Elections in Delhi from the link below : http://www.rwabhagidari.com/votedelhivote.htm
Sunday, October 6, 2013
Delhi Assembly Elections !
May i just ask from the readers, that, can we never come up, think & talk, over and above our personal interests & discuss the truth that really bothers our own city ?
Friday, October 4, 2013
Doctors call for tests on 'mystery' pollution found in Yamuna
Pollution in Yamuna refuses to come down despite efforts by the Delhi government and various agencies to reduce the contamination levels in the river.
The sorry picture once again came to the fore recently when Delhi Jal Board officials stumbled upon some "mystery" pollutants which are found to be deteriorating the water quality of the river to a dangerous level.
The rise in levels of cyanotoxins and other unidentified pollutants found in Yamuna may pose severe health risks.
The unidentified pollutants were discovered during a disinfection drive by the Jal Board in the river.
By their own admission, Jal Board officials don't have the necessary technology to find out the origin of these contaminants, which may pose severe health risks to humans.
The Jal Board scientists, who conducted a water chlorination study, said heavy doses of chlorine would be required to decontaminate these pollutants.
They claimed to have found several unidentified by-products in the river water, which form when chlorine reacts with ammoniacal contaminants and cyanobacterial bloom. This also suggests the presence of cyanobacterial bloom in Yamuna, exposure to which poses severe health risks to humans.
with thanks : dailymail : LINK : for detailed news.
Delhi Jal Board : No water here ?
NO WATER SUPPLY IN OUR AREA
H NO. F-54, 57,58, 59, 61, F BLOCK, KAMLA NAGAR.
SINCE FIVE DAYS. URGENT MATTER.
RWA PRESIDENT(KAMLA NAGAR F BLOCK(REGD))
RK SETH
54 F , KAMLA NAGAR
9871672409
Ban citizens .....
Directions of the Supreme Court are perfect, why the Govt. is bent upon changing the same with unreasonable reasons, they are making the democracy their own tool. We should resist such efforts of the Sarkar, they are bent upon in making, amending and practicing with malafide intention for their own benefit, not the benefit of the people, who have elected them to run the Govt. Please do not interfere with Constitution of India and avoid making amendments for your own interest.
Raj Kumar Nanda
Thursday, October 3, 2013
Tuesday, October 1, 2013
Discoms are haughty: Delhi consumer forum
Discoms are "haughty" and "revel in harassing customers," the Delhi State Consumer Commission has held, while dismissing BSES Yamuna's plea against an order directing it to refund excess power charges it had "coerced" a lady doctor into paying for alleged theft of electricity.
"Electricity department is a welfare department and is supposed to provide necessary facilities without disruption, but functioning of the appellant/opposite party (BSES Yamuna) shows that they have scant regard for welfare of the society and their attitude is that of being hot-headed and haughty and they seem to revel in harassing customers.
"It is high time they change their attitude and realise that they are supposed to provide hassle-free service. The case in hand provides an example of such attitude," a bench presided by Justice Barkat Ali Zaidi said.
The bench confirmed the order of the district consumer forum, which had absolved the complainant Nirmala Joseph of theft charges and held that the discom had coerced her into paying Rs 4,12,116 as power consumption and theft charges.
The district forum had directed the discom to revise her power consumption bills and after deducting the correct charges from the amount of Rs 4,12,116, to refund the rest along with compensation of Rs 25,000.
This order was challenged by the discom, whose plea was rejected by the commission.
The commission observed "there is no theft involved in this case. The meter was taken away by the electricity authorities (discom) and they have not alleged that it was tampered with. After the meter had been removed by the electricity authorities, a direct connection was provided to the respondent.
with thanks : Business Standard : LINK : for detailed news.
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