Friday, April 12, 2013

MEGA DELHI RWA



















We have regular requests from a large number of persons for launching of an RWA that could cover entire Delhi. We are pleased to announce the launching of MEGA DELHI RWA for entire Delhi. Those willing to join may please send us a mail with complete contact details for the Membership form. Our mail id is : rwabhagidari@yahoo.in

Thanks & Regards

B S Vohra

RWAs : Plz feel free to mail us pics of your activities

Dear RWAs,

Please feel free to mail us pics of your activities alongwith Press release for uploading on our RWABhagidari blog. We will try our best to upload your content for sharing with  rest of the RWA subscribers from Delhi / NCR for the wider coverage.

With best regards

B S Vohra
rwabhagidari@yahoo.in  
www.RWABhagidari.blogspot.in
www.RWABhagidari.com              

Compliments from friends

Dear Sh. Vohra,

As usual, you are doing good things. Congrats.

Thanks and regards,

Ashok K bhatnagar


Dear Bhatnagar saab,

Thanks for your mail. As usual, you are always a source of inspiration for others.

Best regards,

B S Vohra

Thursday, April 11, 2013

Must read :

  पंचायत का निर्णय :  एक बेहद उम्दा कहानी
एक बार एक हंस और हंसिनी हरिद्वार के सुरम्य वातावरण से भटकते हुए उजड़े, वीरान और रेगिस्तान के इलाके में आ गये !

हंसिनी ने हंस को कहा कि ये किस उजड़े इलाके में आ गये हैं ? यहाँ न तो जल है, न जंगल और न ही ठंडी हवाएं हैं ! यहाँ तो हमारा जीना मुश्किल हो जायेगा ! भटकते २ शाम हो गयी तो हंस ने हंसिनी से कहा कि किसी तरह आज कि रात बिता लो, सुबह हम लोग हरिद्वार लौट चलेंगे !

रात हुई तो जिस पेड़ के नीचे हंस और हंसिनी रुके थे उस पर एक उल्लू बैठा था। वह जोर २ से चिल्लाने लगा।

हंसिनी ने हंस से कहा, अरे यहाँ तो रात में सो भी नहीं सकते। ये उल्लू चिल्ला रहा है। हंस ने फिर हंसिनी को समझाया कि किसी तरह रात काट लो, मुझे अब समझ में आ गया है कि ये इलाका वीरान क्यूँ है ? ऐसे उल्लू जिस इलाके में रहेंगे वो तो वीरान और उजड़ा रहेगा ही। पेड़ पर बैठा उल्लू दोनों कि बात सुन रहा था। सुबह हुई, उल्लू नीचे आया और उसने कहा कि हंस भाई मेरी वजह से आपको रात में तकलीफ हुई, मुझे माफ़ कर दो। हंस ने कहा, कोई बात नही भैया, आपका धन्यवाद !

यह कहकर जैसे ही हंस अपनी हंसिनी को लेकर आगे बढ़ा, पीछे से उल्लू चिल्लाया, अरे हंस मेरी पत्नी को लेकर कहाँ जा रहे हो। हंस चौंका, उसने कहा, आपकी पत्नी? अरे भाई, यह हंसिनी है, मेरी पत्नी है, मेरे साथ आई थी, मेरे साथ जा रही है !

उल्लू ने कहा, खामोश रहो, ये मेरी पत्नी है। दोनों के बीच विवाद बढ़ गया। पूरे इलाके के लोग इक्कठा हो गये। कई गावों की जनता बैठी। पंचायत बुलाई गयी। पंच लोग भी आ गये ! बोले, भाई किस बात का विवाद है ? लोगों ने बताया कि उल्लू कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है और हंस कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है !

लम्बी बैठक और पंचायत के बाद पञ्च लोग किनारे हो गये और कहा कि भाई बात तो यह सही है कि हंसिनी हंस की ही पत्नी है, लेकिन ये हंस और हंसिनी तो अभी थोड़ी देर में इस गाँव से चले जायेंगे। हमारे बीच में तो उल्लू को ही रहना है। इसलिए फैसला उल्लू के ही हक़ में ही सुनाना है ! फिर पंचों ने अपना फैसला सुनाया और कहा कि सारे तथ्यों और सबूतों कि जांच करने के बाद यह पंचायत इस नतीजे पर पहुंची है कि हंसिनी उल्लू की पत्नी है और हंस को तत्काल गाँव छोड़ने का हुक्म दिया जाता है !

यह सुनते ही हंस हैरान हो गया और रोने, चीखने और चिल्लाने लगा कि पंचायत ने गलत फैसला सुनाया। उल्लू ने मेरी पत्नी ले ली ! रोते- चीखते जब वहआगे बढ़ने लगा तो उल्लू ने आवाज लगाई - ऐ मित्र हंस, रुको ! हंस ने रोते हुए कहा कि भैया, अब क्या करोगे ? पत्नी तो तुमने ले ही ली, अब जान भी लोगे ?

उल्लू ने कहा, नहीं मित्र, ये हंसिनी आपकी पत्नी थी, है और रहेगी ! लेकिन कल रात जब मैं चिल्ला रहा था तो आपने अपनी पत्नी से कहा था कि यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ उल्लू रहता है ! मित्र, ये इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए नहीं है कि यहाँ उल्लू रहता है । यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहाँ पर ऐसे पञ्च रहते हैं जो उल्लुओं के हक़ में फैसला सुनाते हैं !
शायद ६५ साल कि आजादी के बाद भी हमारे देश की दुर्दशा का मूल कारण यही है कि हमने हमेशा अपना फैसला उल्लुओं के ही पक्ष में सुनाया है। इस देश क़ी बदहाली और दुर्दशा के लिए कहीं न कहीं हम भी जिम्मेदार हैं।

thanks : watwani ji

Proposed hike in Power Tariff


Is it a futile attempt on the part of Govt.to force the Delhi people to leave Delhi, when all other resolutions failed? How long the sword will continue to hang on the head of Delhi people by increasing prices of Electric, Water, PNG , Petrol, Diesel and LPG etc apart from the price hike in Daily consumables? Govt. should consider the view point and withdraw the service tax applied so heavily on the consumables.

R K Nanda 
Vice President RWA CC Block, Shalimar Bagh, Delhi. 110088 

Wednesday, April 10, 2013

Hindustan Times : B S Vohra





























Hindustan Times : B S Vohra : it's a serious issue & we must come forward so that the basic requirements of masses could be met. 

Tuesday, April 9, 2013

आप घर के अन्य सदस्यों से मिलकर तय कर लें कि भीतर किसे निमंत्रित करना है

एक दिन एक औरत अपने घर के बाहर आई
और उसने तीन संतों को अपने घर के सामने
देखा। वह उन्हें जानती नहीं थी। औरत ने
कहा – “कृपया भीतर आइये और भोजन
करिए।”
संत बोले – “क्या तुम्हारे पति घर पर हैं?”
औरत ने कहा – “नहीं, वे अभी बाहर गए
हैं।”
संत बोले – “हम तभी भीतर आयेंगे जब वह
घर पर हों।”
शाम को उस औरत कापति घर आया और
औरत ने उसे यह सबबताया।
औरत के पति ने कहा – “जाओ और उनसे
कहो कि मैं घर आ गया हूँ और उनको आदर
सहित बुलाओ।”
औरत बाहर गई और उनको भीतर आने के
लिए कहा।
संत बोले – “हम सबकिसी भी घर में एक
साथ नहीं जाते।”
“पर क्यों?” – औरत ने पूछा।
उनमें से एक संत ने कहा – “मेरा नाम धन
है” – फ़िर दूसरे संतों की ओर इशारा कर के
कहा – “इन दोनों के नाम सफलता और
प्रेम हैं। हममें से कोई एक ही भीतर आ
सकता है। आप घर के अन्य सदस्यों से
मिलकर तय कर लें कि भीतर किसे
निमंत्रित करना है।”
औरत ने भीतर जाकर अपने पति को यह सब
बताया। उसका पति बहुत प्रसन्न
हो गया और बोला – “यदि ऐसा है तो हमें
धन को आमंत्रित करना चाहिए।
हमारा घर खुशियों से भर जाएगा।”
लेकिन उसकी पत्नी ने कहा – “मुझे
लगता है कि हमें सफलता को आमंत्रित
करना चाहिए।”
उनकी बेटी दूसरे कमरे से यह सब सुन
रही थी। वह उनके पास आई और बोली –
“मुझे लगता है कि हमें प्रेम को आमंत्रित
करना चाहिए। प्रेम से बढ़कर कुछ
भी नहीं हैं।”
“तुम ठीक कहती हो, हमें प्रेम
को ही बुलाना चाहिए” – उसके माता-
पिता ने कहा।
औरत घर के बाहर गई और उसने संतों से
पूछा – “आप में से जिनका नाम प्रेम है वे
कृपया घर में प्रवेश कर भोजन गृहण करें।”
प्रेम घर की ओर बढ़ चले। बाकी के दो संत
भी उनके पीछे चलने लगे।
औरत ने आश्चर्य से उन दोनों से पूछा – “मैंने
तो सिर्फ़ प्रेम को आमंत्रित किया था।
आप लोग भीतर क्यों जा रहे हैं?”
उनमें से एक ने कहा – “यदि आपने धन और
सफलता में से किसी एक को आमंत्रित
किया होता तो केवल वही भीतर जाता।
आपने प्रेम को आमंत्रित किया है। प्रेम
कभी अकेला नहीं जाता। प्रेम जहाँ-
जहाँ जाता है, धन और सफलता उसके पीछे
जाते हैं।

Cell Tower radiation - Indian Express


Proposed Power Tariff hike in Delhi