जी मैं बात कर रहा हूँ, अपने एजुकेशन सिस्टम की. नर्सरी से लेकर 12 वी तक, माता पिता अपने बच्चों को अछी से अछी शिक्षा देते हैं, अच्छे से अच्छे स्कूल मे भेजते है, और उमीद करते हैं की उनका बच्चा अच्छे नंबर ला कर, किसी अच्छे कॉलेज मे अड्मिशन ले लेगा.
लेकिन नतीजे आने के बाद जब पहली कट ऑफ आती है तो जिस ज़ोर का झटका इन बेचारे माता पिता को लगता है, उसकी शायद कोई दूसरा कल्पना भी नही कर सकता.
ऐसा ही कुछ हुआ कल दिल्ली मे जब पहली कट ऑफ लिस्ट आई. कुछ कॉलेजस मे कुछ सब्जेक्ट्स का कट ऑफ 100% था. बाकी के कोर्सस का कट ऑफ भी लगभग 98.5%, 96% की रेंज मे था. यानी की अगर आपके बच्चे को 90 - 95% नंबर भी आए हुए हैं, तो भी आप अपनी मर्ज़ी से, अपनी चाय्स का कोर्स चूज़ नही कर सकते. और अगर आपके नंबर इससे कुछ भी कम है तो सिर्फ़ प्राइवेट इनस्टिट्यूट्स का भरोसा रह जाता है, जहाँ आपको सीट तो मिल जाती है लेकिन भारी कीमत दे कर.
जिस हिसाब से दिल्ली यूनिवर्सिटी मे कट ऑफ बड़ रही है, उससे यही लगता है की जल्द ही सभी कोर्सस की कट ऑफ सिर्फ़ 100% होने वाली है. ऐसे मे अपने बच्चों को इतने सालो की पड़ाई करवाने का क्या कुछ औचितय निकलता है ?
क्या आपको नही लगता की जो एजुकेशन सिस्टम, इतने सालों की पड़ाई के बाद और अच्छे नंबर लाने के बाद भी, आपके बच्चे को किसी कॉलेज मे सीट नही दिला सकता, उस एजुकेशन सिस्टम को लचर करार देते हुए, स्क्रॅप कर देना चाहिए और कुछ नया सोचना चाहिए.
वो अफ़साना, जिसे अंजाम तक, लाना ना हो मुमकिन,
उसे एक खूबसूरत, मोड़ देकर, छोड़ना अछा !
(The writer is President,East Delhi RWAs Joint Front. He can be reached at rwabhagidari@yahoo.in. Views expressed are personal. )
http://www.indiatrendingnow.com/delhi/delhi-university-0615/
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