आज सबसे बड़ा प्रेशन यह है की क्या बनेगा मेरी दिल्ली का ? क्या पाँच साल सिर्फ़ इसी तरह से टकराव मे निकल जाएँगे ? क्या इस झगड़े से हट कर कोई बीच का रास्ता, कोई समाधान का रास्ता नही निकल सकता ? आख़िर इस झगड़े का अंत कहाँ होगा ? हम तो सिर्फ़ इतना कह सकते है की कोई भी जीते या हारे, दिल्ली अपनी तरक्की की राह से पिछड़ जाएगी. शायद हमारी सरकार के लिए, बिजली और पानी से ज़्यादा गंभीर मुद्दा यह है की ज़्यादा ताक़त किसके पास है और कौन अपने को ज़्यादा बड़ा दिखा सकता है. लेकिन इतना तो पक्का है की अहम की इस लड़ाई मे, दिल्ली वालों को सिर्फ़ नुकसान झेलना पड़ेगा.
आज दिल्ली दुनिया की सबसे ज़्यादा पोल्यूटेड सिटी बन चुकी है. दिल्ली मे रहने वाले मासूम बच्चों के लंग्ज़ खराब हो रहे है. ना जाने कितने बच्चे रोज गुम हो जाते हैं और कभी वापिस नही आ पाते. ट्रॅफिक जाम के कारण सब कुछ धीमा हो चुका है और दिल्ली दुनिया की पाँचवी वर्स्ट सिटी बन चुकी है. लोगो के पास पीने को पानी नही. ड्रेनेज सिस्टम कोलॅप्स के कगार पे है. दिल्ली की लाइफ्लाइन यमुना एक गंदे नाले मे तब्दील हो चुकी है. कॅन्सर और ना जाने कौन कौन सी बीमारियों की भरमार है और हमारी सरकार .....जाने क्या बनेगा मेरी दिल्ली का. लेकिन इतना तो पक्का है की अहम की इस लड़ाई मे, दिल्ली वालों को सिर्फ़ नुकसान झेलना पड़ेगा.
B S Vohra
आज दिल्ली दुनिया की सबसे ज़्यादा पोल्यूटेड सिटी बन चुकी है. दिल्ली मे रहने वाले मासूम बच्चों के लंग्ज़ खराब हो रहे है. ना जाने कितने बच्चे रोज गुम हो जाते हैं और कभी वापिस नही आ पाते. ट्रॅफिक जाम के कारण सब कुछ धीमा हो चुका है और दिल्ली दुनिया की पाँचवी वर्स्ट सिटी बन चुकी है. लोगो के पास पीने को पानी नही. ड्रेनेज सिस्टम कोलॅप्स के कगार पे है. दिल्ली की लाइफ्लाइन यमुना एक गंदे नाले मे तब्दील हो चुकी है. कॅन्सर और ना जाने कौन कौन सी बीमारियों की भरमार है और हमारी सरकार .....जाने क्या बनेगा मेरी दिल्ली का. लेकिन इतना तो पक्का है की अहम की इस लड़ाई मे, दिल्ली वालों को सिर्फ़ नुकसान झेलना पड़ेगा.
B S Vohra