नगर संवाददाता, नई दिल्ली
दिल्ली सरकार ने 400 यूनिट से कम बिजली खपत करने पर बिल को आधा करने का ऐलान तो कर दिया है, मगर कई आरडब्ल्यूए इसका विरोध कर रहे हैं। आरडब्ल्यूए का कहना है कि इस फैसले से किसी भी हालत में 90 पर्सेंट लोगों को फायदा नहीं मिल सकता है क्योंकि 400 यूनिट से एक भी यूनिट ज्यादा होगी, तो पूरा बिल चुकाना पड़ेगा। हालांकि, कुछ आरडब्ल्यूए ने इस फैसले का समर्थन भी किया है।
आरडब्ल्यूए का कहना है कि फैसले से मिडल क्लास लोगों में बहस शुरू हो गई है कि जिन मुद्दों के लिए केजरीवाल को वोट डाले थे क्या वह अब उन्हें पूरा करने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं। उनका कहना है कि इस फैसले के बाद 400 यूनिट से कम खपत करने वालों को तो फायदा होगा लेकिन पहले की तरह 400 यूनिट से ज्यादा पर बिल में जो सब्सिडी दी जा रही थी, उसे क्यों खत्म किया जा रहा है।
ईस्ट दिल्ली आरडब्ल्यूए के जॉइंट फ्रंट फेडरेशन के प्रेजिडेंट बी.एस. वोहरा कहते हैं, मई-जून में लोगों को काफी परेशानी झेलनी पड़ सकती है। मुझे नहीं लगता है कि इस फैसले से 90 पर्सेंट लोगों को फायदा होगा। और अगर सरकार सच भी कह रही है तो बाकी 10 पर्सेंट के बारे में क्यों नहीं सोचा जा रहा है।
ग्रेटर कैलाश-1 के आरडब्ल्यूए मेंबर राजीव काकरिया कहते हैं कि सब्सिडी का रास्ता गलत है। दिल्ली में बिजली के डिस्ट्रिब्यूशन के ढांचे को दुरुस्त करने की जरूरत है। गरीब लोग किराए पर रहते हैं और उनके घर में बिजली की रीडिंग सब मीटर से ली जाती है। अब इस फैसले के बाद ऐसे लोगों को हर यूनिट 10 से 12 रुपये की मिलेगी।
साउथ एक्स के आरडब्ल्यूए मेंबर मंजीत सिंह चुग कहते हैं कि रेजिडेंशल एरिया में रहने वाले ज्यादातर लोगों के घरों में एसी लगे हुए हैं। पहले लोगों को 400 यूनिट से ऊपर भी सब्सिडी मिलती थी, नए ऐलान से बिल्कुल भी फायदा नहीं होगा। पीतमपुरा के एडी ब्लॉक के मेंबर संजय सिहाग कहते हैं, कई लोगों की जॉइंट फैमिली है। उनका बिल तो 400 यूनिट से ज्यादा आएगा ही, ऐसे में ऐसी फैमिली को कैसे फायदा होगा।
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