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Monday, October 19, 2015

दिल्ली का दर्द, दिल्ली की चीत्कार !

अरे दानवो, इसे मेरी आख़िरी चेतावनी समझना, क्योंकि मुझे अपनी गोद मे, बच्चियों से दुष्कर्म नही चाहिए, महिलाओं से कुकर्म नही चाहिए, बुजुर्गों से दुतकार नही चाहिए, चोरी, चाकारी और भरष्टाचार नही चाहिए, शराब, दारू और जूए के अड्डे नही चाहिए, सड़को पे खड्डे नही चाहिए, दुखियो की चीत्कार नही चाहिए और अपने नाम पे, किसी भी हालत मे, बलात्कार नही चाहिए.
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निर्भया की दुखद मौत को देख कर, मैं रोती रही, बिलखती रही, कि लोगो, मुझे तुम रेप कॅपिटल का नाम मत दो. अरे मैने तो तुम लोगो को रहने, खाने पीने, जीने का ठिकाना दिया. जाने किधर किधर से भटक भटक कर, जब तुम लोग मेरी गोद मे पहुँचे तो मैने तुम्हे आसरा दिया, जीविका के साधन दिए, ताकि तुम, फल फूल कर अपने और अपने घर वालों का पेट भर सको, अपनी ज़रूरतें पूरी कर सको, तरक्की के रास्ते पे चल सको ताकि तुम खुद भी खुशहाल हो जाओ और देश भी उन्नति के रास्ते पे चलता चले. 

लेकिन, तुम्हारी आड़ मे ये जो खौफनाक दरिंदे मेरी छाती को र्रौंद रहे है, मेरे नाम पर कालिख पोत रहे हैं, मेरी गोद मे रहने वाली मासूम बच्चियों से दुष्कर्म कर रहे है, ये किसी माता के जाए नही हो सकते. शायद इनके घरों मे कोई बहिन, बेटी भी नही होगी वरना कैसे ये किसी मासूम से दुष्कर्म करने का हौसला करते. अरे जिस बच्चे को जनम देने के लिया एक माता, जाने कितनी पीड़ा सहती है, जिस बच्चे को पालने पोसने के लिए माता पिता कितने कष्ट सहते हैं, उसी माता के जाए, कैसे एक दरिंदे का रूप धर के, किसी मासूम बच्ची से कुकर्म कर सकते हैं ? अरे दरिंदो, मेरी गोद मे रहते हुए, मेरे मातृतव का आनंद उठाते हुए, तुम मेरी कोख को कलंकित मत करो. 

लेकिन, मैं उनका क्या करूँ, जो सब कुछ देखते, सुनते हुए भी, गूंगे, बहरे और अंधे बन के बैठे हुए हैं ? वो अच्छी तरह से जानते हैं कि, जिस तरह से जुर्म करने वाला पापी होता है, उसी तरह से जुर्म को देखने वाला, जुर्म को सहने वाला भी, पापियों की गिनती मे ही आता है. इसलिए, मेरे नाम पे ऐश करने वालों, मेरी गोद मे बैठ कर, अपनी जेबें भरने वालो, होश कर लो, शरम कर लो, अभी भी वक़्त है, सही रास्ते पे आ जाओ. 

वरना याद रखना, कि जिस दिन मेरे सबर का प्याला भर गया, उस दिन तुम सब को इक पल मे नेस्तनाबूद कर के रख दूँगी. अरे जिस दिन मैने अपनी चक्की चला दी तो गेहूँ के साथ साथ, घुन भी पिस जाएँगे. कबीर जी ने बिल्कुल सही कहा है कि  : माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोहे, इक दिन ऐसा आएगा, मैं रौंदूँगी तोहे. 

अरे दानवो, इसे मेरी आख़िरी चेतावनी समझना, क्योंकि मुझे अपनी गोद मे, बच्चियों से दुष्कर्म नही चाहिए, महिलाओं से कुकर्म नही चाहिए, बुजुर्गों से दुतकार नही चाहिए, चोरी, चाकारी और भरष्टाचार नही चाहिए, शराब, दारू और जूए के अड्डे नही चाहिए, सड़को पे खड्डे नही चाहिए, दुखियो की चीत्कार नही चाहिए और अपने नाम पे, किसी भी हालत मे, बलात्कार नही चाहिए.

बी एस वोहरा