आम आदमी पार्टी के स्वराज कानून पर आरडब्ल्यू असोसिएशनों ने ऐतराज जताया है। इन आरडब्ल्यूए का कहना है कि एक और पैरलल बॉडी बनाए जाने की क्या जरूरत है। आरडब्ल्यूए यह नहीं चाहते कि आप के समर्थक मोहल्ला सभाओं के चेयरमैन बन जाएं। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने शनिवार को दिल्ली सरकार के रिपब्लिक डे सेलिब्रेशन में स्वराज कानून बनाने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि दिल्ली को मोहल्ला सभाओं में बांटकर वहां चुनाव कराए जाएंगे। हर इलाके में चुनाव के जरिए एक चेयरमैन नियुक्त किया जाएगा।
नॉर्थ दिल्ली रेजिडेंट वेलफेयर असोसिएशन के अध्यक्ष अशोक भसीन ने कहा है कि दिल्ली में पहले से ही 4137 रजिस्टर्ड आरडब्ल्यूए मौजूद हैं। इस कदम से पहले आरडब्ल्यूए से भी फीडबैक लेने की जरूरत है क्योंकि हर मोहल्ले में पहले से काम रहे असोसिएशन के मेंबर्स को इलाके की जानकारी है। चेयरमैन उन्हीं में से एक होना चाहिए।
ईस्ट दिल्ली जॉइंट फ्रंट फेडरेशन के अध्यक्ष बी. एस. वोहरा के मुताबिक, आरडब्ल्यूए 15 सालों से बिजली-पानी और लोकल मुद्दे को कॉरपोरेशन के सामने उठाती रही है। अगर हर इलाके में पार्टी के समर्थकों को जनता का प्रतिनिधि बनाने की कोशिश की जा रही है, तो ये गलत है।
वसंत विहार के आरडब्ल्यूए मेंबर समीर भगत कहते हैं कि केजरीवाल सरकार की यह रणनीति लोगों के फायदे की नहीं है। इससे करप्शन घटने की बजाए बढ़ेगा। मोहल्ले में दो प्रतिनिधियों के बीच चुनाव कराने से लोग आपस में एक दूसरे के खिलाफ हो सकते हैं। लोगों को हायर लेवल में शामिल करने से जनता पर राजनीति का बोझ पड़ेगा। हर किसी के पास अपने बिजनेस, नौकरियां हैं। हम चाहते हैं कि इलाके के सरकारी दफ्तरों में काम कर रहे ब्यूरोक्रेट्स मोहल्ला सभाओं के चेयरमैन बनें। पार्टी का कोई भी समर्थक चेयरमैन न बनें।
जनकपुरी आरडब्ल्यूए के पूर्व जनरल सेक्रेटरी गुलशन राय सीएम के स्वराज कानून का समर्थन करते हैं। वह कहते हैं कि इससे लोगों को फायदा होगा। लेकिन आरडब्ल्यूए को लीगल स्टेटस दिया जाए। अब तक एमएलए और पार्षद के आस-पास काम कराने के लिए कई चक्कर लगाने पड़ते थे। इससे सरकार का फंड सीधे जनता तक पहुंचेगा।
with thanks : NavBharat Times : LINK