Thursday, February 15, 2018

नई पार्किंग पॉलिसी - सीलिंग और पेनल्टी का नया दौर?

नई पार्किंग पॉलिसी - यानी की अगर आप अपने घर के बाहर अपनी गाड़ी खड़ी करते हो तो आपको पार्किंग चार्जस देने पड़ेंगे. बचपन मे कहानी सुनी थी की किसी किसान के पास एक मुर्गी थी जो रोज सोने का अंडा देती थी. एक दिन उस किसान ने सोचा की एक एक अंडे से तो मज़ा नही आता, तो क्यों ना मुर्गी का पेट काटकर सारे के सारे अंडे एक साथ निकल लूं. बस यही हाल हमारा है. सोने के अंडे देने वाली मुर्गी से ज़्यादा कुछ भी नही. सभी सरकारें सिर्फ़ हमारा पेट काट कर सारे के सारे सोने के अंडे निकलवाना चाहते हैं. 

पहले इनकम टॅक्स दो. फिर 28% तक का GST दो, फिर हाउस टॅक्स, रोड टॅक्स, कॅन्वेर्जन चार्जस, वन टाइम पार्किंग चार्जस, और अब अपने घर के बाहर अपनी गाड़ी खड़ी करने पर भी पार्किंग और वो भी डबल रेट अगर आप दिन मे ऐसा करते हैं तो. 

क्या बात है. यानी की जितना निचोड़ सकते हो निचोड़ लो. बंदे के पास अपने लिए कुछ बचे या ना बचे, इन सरकारों के लिए सब कुछ होना चाहिए. रोज़गार नही है तो भूखे मर जाओ, कोई पूछने भी नही आएगा. पर अगर अपनी मेहनत से अपने हाथ पाँव मार के कुछ कर लो, तो थैला भरके सिर्फ़ सरकारों के लिए रख लो.

और उस पर भी कोई गारंटी नही कि कब वो कोई नया फरमान सुना कर, और पैसे माँग लें, वरना सीलिंग से लेकर ना जाने क्या क्या. ना दीन ना ईमान, बस आम आदमी परेशान. यही आज की हक़ीकत है और यही हर किसी का अफ़साना है. आप रोते रहो, चीखो, चिललाओ, सरकारों के लिए तो ये बस इक बहाना है.

चलो अब वापिस आते हैं पार्किंग पे. भाई आप पार्किंग चार्जस तो माँगने की बात कर रहे हो, तो क्या आप हमारी कारों की सुरक्षा भी करोगे? दिन मे या रात मे कोई कार चोरी हो जाती है, कोई डेक निकाल लेता है या फिर कोई टक्कर मार कर कार ठोक देता है तो क्या हमारे उस नुकसान की भरपाई सरकार करेगी? या फिर हमेशा की तरह सिर्फ़ लेना आपका काम है और सर्विस के नाम पर निल.

और अगर हमने अपनी कार अपने घर के अंदर लगा दी, पर कोई पड़ोसी अपनी कार हमारे घर के बाहर लगा गया तो कौन बिल पे करेगा? या फिर, हमारे कोई दूर या पास के रिश्तेदार मिलने या चंद दिनो के लिए रहने आ जाएँ और अपनी गाड़ी हमारे घर के बाहर लगा दें, तो उसकी पार्किंग कौन देगा या फिर कैसे देगा? क्योंकि सरकारी ठेकेदार तो दावा करेगा की ये गाड़ी रोज खड़ी होती है और उस पर महीने, या साल का इतना बिल बनता है, और ना देने के कारण 5 से 10 गुना की पेनल्टी, साथ मे 1% इंटेरेस्ट हर महीने का, या फिर ले देकर मामला सेट्ल. वाह भाई वाह, क्या बात है. पैसे निचोड़ने का नया तरीका भी ईजाद.

बात यहीं ख़तम नही होती, इसके बाद, आपकी पार्किंग मे खड़ी गाड़ियों की गिनती भी फिक्स होने वाली है. यानी की अगर कोई सरकारी टीम रात को दो बजे आपके घर पे रेड करती है और कोई गाड़ी, अपनी लिमिट से ज़्यादा मिलती है तो एक बार फिर से सीलिंग और पेनल्टी का दौर चालू. यानी की इस पार्किंग पॉलिसी के चालू होते ही, आप एक नए भंवर मे फस्ने वाले हैं.

और उस पर तुर्रा यह की RWAs को एम्पोवेर किया जा रहा है. BPF मॉनिटरिंग कमीटी तय करेगी, कितना मल्टिपल करना है, ये MCD तय करेगी - RWAs से बात करके और फिर कलेक्षन का जिम्मा आउट सोर्सिंग से किया जाएगा अगर RWAs ने ये जिम्मा नही लिया तो.  यानी की गला भी हमारा और छुरा भी हमारा. अब खरबूजा छुरे पर गिरे या फिर छुरा खरबूजे पर, कटना तो खरबूजा ही है मेरे भाई. अभी भी वक्त है, सोच लो, आवाज़ उठा लो, वरना सीलिंग और पेनल्टीस हम लोगों की नियती बनने वाली है. इसके साथ साथ, MCD या दिल्ली सरकार के हर बजेट पे सबसे बड़ी चिंता का विषय यह होगा कि पार्किंग चार्जस कितने बड़ते हैं.

DETAILED LETTER WILL BE MAILED TO THE CONCERNED AUTHORITIES WELL WITHIN THE TIME. 


WE MUST OPPOSE IT.

Thanks,

B S Vohra
President,
East Delhi RWAs Joint Front - Federation
www.RWABhagidari.com


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