डेंगू और चिकनगुनया का दौर अब तेज हो रहा है. सरकारी अस्पतालों का तो हाल छोड़ो, प्राइवेट हॉस्पिटल्स मे भी लोगों की कतारें नज़र आ रही हैं. कासुआलिटी मे भी, बिना किसी रूम के, अगर आपको बेड मिल जाता है तो उसका चार्ज भी तीन हज़ार से उपर है और सारे दूसरे खर्चे, डॉक्टर्स के, टेस्ट्स के, दवाइयों इत्यादि के अलग से. अगर कहीं प्लटलेट्स की कमी हो गई तो 13,000 से लेकर 30,000 तक के दाम पर भी आपको प्लटलेट्स के लिए धक्के खाने पड़ सकते हैं.
लेकिन इसके बाद भी अभी तक कोई फॉगिंग की शुरुआत नही हुई. अभी भी सरकारें सोई पड़ी है. लोग परेशान हैं, अस्पतालों की चाँदी हो रही है. लेकिन लगता है कि सरकारों की नींद सिर्फ़ तभी खुलेगी जब 25 - 50 लोग मर चुके होंगे. आख़िर क्यों सरकारों को शर्म नही आती ? क्यों ये चुने हुए नेता बातें बनाने के अलावा कुछ नही करते ?
दिल्ली मे MCD क्या कर रही है ? LG साहिब किधर हैं ? दिल्ली के CM किस कोने मे अपनी पार्टी का परचार कर रहे हैं ? दिल्ली के हेल्थ मिनिस्टर किधर हैं ? हमने दिल्ली के CM और हेल्थ मिनिस्टर को मेल डाल कर रिक्वेस्ट करी थी की प्लटलेट्स का दाम भी फिक्स कर दिया जाए, ताकि लोगों को डेंगू के इलाज मे आसानी हो सके, लेकिन अभी तक उस पर भी कोई action नही हुआ. सिर्फ़ हमारी मेल को हेल्थ डिपार्टमेंट मे फॉर्वर्ड कर दिया गया.
हमारे नेताओं को शर्म आती हो या नही लेकिन अब हमे शर्म आने लगी है कि कैसे हम लोग इन ब्लेम गेम खेलने वाले लोगों को चुन कर सत्ता मे बिठा देते हैं. ये लोग हमेशा दूसरे पर ब्लेम कर के अपना पल्ला झाड़ लेते हैं. लेकिन कब तक ये दिल्ली वालों को बेवकूफ़ बनाते रहेंगे या फिर दूसरे शब्दों मे, कब तक दिल्ली वाले इस तरह से बेवकूफ़ बनते रहेंगे और डेंगू चिकनगुनया जैसी बीमारियों से मरते रहेंगे ?
B S Vohra
www.RWABhagidari.com
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