Friday, February 4, 2022

Middle Class ( taken fom the Face Book of Mr Anil Sood with thanks)

मिडिल क्लास होने का भी अपना फायदा है चाहे BMW का भाव बढ़े या AUDI का या फिर नया i phone लांच हो जाऐ, फर्क नही पङता. मिडिल क्लास लोगों की आधी ज़िंदगी तो झड़ते हुए बाल और बढ़ते हुए पेट को रोकने में ही चली जाती है।  मिक्स-वेज की सब्ज़ी भी तभी बनती हैं जब रात वाली सब्जी बच जाती है।

इनके यहाँ फ्रूटी, कॉल्ड ड्रिंक एक साथ तभी आते है जब घर में कोई बढ़िया वाला रिश्तेदार आ रहा होता है। कपड़ों की तरह खाने वाले चावल की भी तीन वेराईटी होती है; डेली,कैजुवल और पार्टी वाला। छानते समय चायपत्ती को दबा कर लास्ट बून्द तक निचोड़ लेना ही मिडिल क्लास वालों के लिए परमसुख की अनुभुति होती है। ये लोग रूम फ्रेशनर का इस्तेमाल नही करते, सीधे अगरबत्ती जला लेते है। 

मिडिल क्लास भारतीय परिवार के घरों में Get- together नहीं होता, यहां 'सत्यनारायण भगवान की कथा' होती है। इनका फैमिली बजट इतना सटीक होता है कि सैलरी अगर 31के बजाय 1 को आये तो गुल्लक फोड़ना पड़ जाता है। मिडिल क्लास लोगों की आधी ज़िन्दगी तो "बहुत महँगा है" बोलने में ही निकल जाती है। इनकी "भूख" भी होटल के रेट्स पर डिपेंड करती है. 

इश्क़ मोहब्बत तो अमीरों के चोचलें है, मिडिल क्लास वाले तो सीधे "ब्याह" करते हैं। इनके जीवन में कोई वैलेंटाइन नहीं होता। "जिम्मेदारियां" ज़िंदगी भर बजरंग-दल सी पीछे लगी रहती हैं। अमीर शादी के बाद हनीमून पे चले जाते है और मिडिल क्लास लोगो की शादी के बाद टेंन्ट- बर्तन वाले ही इनके पीछे पड़ जाते है। मिडिल क्लास बंदे को पर्सनल बेड और रूम भी शादी के बाद ही अलाॅट हो पाता है। 

मिडिल क्लास बस ये समझ लो कि जो तेल सर पे लगाते है वही तेल मुंह में भी रगड़ लेते है। एक सच्चा मिडिल क्लास आदमी गीजर बंद करके तब तक नहाता रहता है जब तक कि नल से ठंडा पानी आना शुरू ना हो जाए। रूम ठंडा होते ही AC बंद. दरअसल मिडिल-क्लास तो चौराहे पर लगी घण्टी के समान है, जिसे अंधी-बहरी, अल्पमत-पूर्णमत हर प्रकार की सरकार पूरा दम से बजाती है. 

फिर भी हिम्मत करके मिडिल क्लास आदमी की पैसा बचाने की बहुत कोशिश करता हैं लेकिन बचा कुछ भी नहीं पाता. मिडिल मैन की हालत पंगत के बीच बैठे हुए उस आदमी की तरह होती है जिसके पास पूड़ी-सब्जी आते-आते खत्म हो जाती है. मिडिल क्लास के सपने भी लिमिटेड होते है "टंकी भर गई है, मोटर बंद करना है, गैस पर दूध उबल गया, चावल जल गया🤫

Thursday, February 3, 2022

Monday, January 24, 2022

Let's Demand Empowerment now !

THEY JUST PROMISE BUT NEVER EMPOWER THE RWAS. LET'S DEMAND IT NOW. JOIN US IN RAISING OUR VOICES. PLEASE SHARE YOUR CONTACT DETAILS ON OUR EMAIL ID: rwabhagidari@yahoo.in

Saturday, January 22, 2022

It's better to give them better treatment, instead of compensation after the death.

We just can't use the term COMORBIDITIES as an excuse. Deaths are increasing in Delhi, and specialist Doctors must be deployed to look into the severity of cases. Every life is precious for their loved ones and can not be considered as numbers by the authorities. It's better to give them better treatment, instead of compensation after the death.

B S Vohra

Sunday, January 16, 2022

ARE WE ONLY 20 MN PEOPLE IN OUR DELHI & NOT MUCH MORE?


That's a great achievement BUT only 12mn got 2 jabs + 4.5 mn got 1 jab AND STILL AT RISK, ( 12 + 4.5 = 16.5 mn), while the rest of 3.5 mn without a jab, though children also getting infected now. BUT ARE WE ONLY 20 MN IN OUR DELHI or much more is the biggest question now?

HT