Amar Ujala 25 March 2020
कोरोना वायरस के मरीजों की तादाद बढ़ती जा रही है। अब भारत में भी कोविड-19 को चीन और इटली की भांति स्टेज तीन से जोड़कर देखा जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई अध्ययन भी सामने आए हैं जिनमें दावा किया है कि आने वाले दिन भारत के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।
हालांकि सरकार फिलहाल देश को काफी मजबूत स्थिति में मान रही है लेकिन अगर ये वायरस सामुदायिक स्तर पर फैलता है तो दिल्ली के छह बड़े सरकारी अस्पतालों के लिए काफी कठिनाई हो सकती है। हालात यह हैं कि दिल्ली एम्स में कुल 57 वेंटिलेटर हैं जिनमें से केवल 13 रिक्त हैं।
एम्स सहित इन छह अस्पतालों में 85 फीसदी वेंटिलेटर खाली नहीं है। बुधवार को अमर उजाला ने इन सभी अस्पतालों में पड़ताल की तो आईसीयू बिस्तरों की भारी कमी सामने आई। दिल्ली एम्स, सफदरजंग, आरएमएल, वल्लभ भाई पटेल इंस्टीट्यूट, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, सुचेता कृपलानी बाल चिकित्सालय में आईसीयू बिस्तरों की कमी सबसे ज्यादा है।
डॉक्टरों के अनुसार विषम परिस्थितियों में ये बिस्तर नाकाफी होंगे। आरएमएल अस्पताल के ही एक वरिष्ठ डॉक्टर का कहना है कि कुछ वेंटिलेटर का ही इस्तेमाल स्थिति के अनुसार किया जा सकता है लेकिन तब अन्य मरीजों को दिक्कत आ सकती है। इस वक्त उनके यहां सर्जिकल और इमरजेंसी को छोड़ बाकी किसी भी ब्लॉक में वेंटिलेटर खाली नहीं है।
पड़ताल के दौरान इन छह अस्पतालों में 219 वेंटिलेटर पाए गए जिनमें से महज 36 ही खाली थे। एम्स में कुल 57 वेंटिलेटर हैं जिनमें से 13 रिक्त हैं। इन 13 में कोविड-19 के लिए आठ वेंटिलेटर रखे गए हैं लेकिन सफदरजंग अस्पताल में 79 में से महज 9 वेंटिलेटर ही रिक्त हैं। जबकि दो वेंटिलेटर में से एक काम नहीं कर रहा तो दूसरा बेहद पुराना है।
इसी तरह आरएमएल अस्पताल के विभिन्न ब्लॉक को मिलाकर 64 में से 12 वेंटिलेटर खाली थे। इनमें कोरोना वायरस के लिए स्वाइन फ्लू वार्ड में छह वेंटिलेटर आरक्षित हैं जिनमें से केवल चार खाली हैं। यहां दो कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती हैं जिनमें से एक वेंटिलेटर पर है।
इन अस्पतालों में सबसे ज्यादा कमी
कोरोना वायरस को अब तक श्वसन तंत्र से जोड़कर देखा जा रहा है। दुनिया भर के ज्यादातर मरीजों में संक्रमण से श्वसन संबंधी परेशानियां सामने आ रही हैं। ऐसे में दिल्ली के वल्लभ भाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट में जब वेंटिलेटर की स्थिति के बारे में पता किया तो वहां 6 में से एक भी वेंटिलेटर खाली नहीं था। वहीं लेडी हार्डिंग में पांच में से दो खाली थे जबकि सुचेता कृपलानी अस्पताल में एक भी आईसीयू बिस्तर फिलहाल उपलब्ध नहीं है।
https://www.amarujala.com/delhi-ncr/85-ventilators-in-six-major-hospitals-of-delhi-including-aiims-full
कोरोना वायरस के मरीजों की तादाद बढ़ती जा रही है। अब भारत में भी कोविड-19 को चीन और इटली की भांति स्टेज तीन से जोड़कर देखा जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई अध्ययन भी सामने आए हैं जिनमें दावा किया है कि आने वाले दिन भारत के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।
एम्स सहित इन छह अस्पतालों में 85 फीसदी वेंटिलेटर खाली नहीं है। बुधवार को अमर उजाला ने इन सभी अस्पतालों में पड़ताल की तो आईसीयू बिस्तरों की भारी कमी सामने आई। दिल्ली एम्स, सफदरजंग, आरएमएल, वल्लभ भाई पटेल इंस्टीट्यूट, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, सुचेता कृपलानी बाल चिकित्सालय में आईसीयू बिस्तरों की कमी सबसे ज्यादा है।
डॉक्टरों के अनुसार विषम परिस्थितियों में ये बिस्तर नाकाफी होंगे। आरएमएल अस्पताल के ही एक वरिष्ठ डॉक्टर का कहना है कि कुछ वेंटिलेटर का ही इस्तेमाल स्थिति के अनुसार किया जा सकता है लेकिन तब अन्य मरीजों को दिक्कत आ सकती है। इस वक्त उनके यहां सर्जिकल और इमरजेंसी को छोड़ बाकी किसी भी ब्लॉक में वेंटिलेटर खाली नहीं है।
पड़ताल के दौरान इन छह अस्पतालों में 219 वेंटिलेटर पाए गए जिनमें से महज 36 ही खाली थे। एम्स में कुल 57 वेंटिलेटर हैं जिनमें से 13 रिक्त हैं। इन 13 में कोविड-19 के लिए आठ वेंटिलेटर रखे गए हैं लेकिन सफदरजंग अस्पताल में 79 में से महज 9 वेंटिलेटर ही रिक्त हैं। जबकि दो वेंटिलेटर में से एक काम नहीं कर रहा तो दूसरा बेहद पुराना है।
इसी तरह आरएमएल अस्पताल के विभिन्न ब्लॉक को मिलाकर 64 में से 12 वेंटिलेटर खाली थे। इनमें कोरोना वायरस के लिए स्वाइन फ्लू वार्ड में छह वेंटिलेटर आरक्षित हैं जिनमें से केवल चार खाली हैं। यहां दो कोरोना संक्रमित मरीज भर्ती हैं जिनमें से एक वेंटिलेटर पर है।
इन अस्पतालों में सबसे ज्यादा कमी
कोरोना वायरस को अब तक श्वसन तंत्र से जोड़कर देखा जा रहा है। दुनिया भर के ज्यादातर मरीजों में संक्रमण से श्वसन संबंधी परेशानियां सामने आ रही हैं। ऐसे में दिल्ली के वल्लभ भाई पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट में जब वेंटिलेटर की स्थिति के बारे में पता किया तो वहां 6 में से एक भी वेंटिलेटर खाली नहीं था। वहीं लेडी हार्डिंग में पांच में से दो खाली थे जबकि सुचेता कृपलानी अस्पताल में एक भी आईसीयू बिस्तर फिलहाल उपलब्ध नहीं है।
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