Sunday, May 5, 2019

Social Media campaign - VOTE DELHI SAVE DELHI

RWA Bhagidari has launched the Online Social Media Campaign - #VoteDelhiSaveDelhi. The campaign has been launched to promote the Voting in a Digital way. Presently every one of any cast n creed, of any economic sector, is engaged on Social Media, be it a Blog, Facebook, Twitter, Instagram or the WhatsApp. So we are targeting our links to generate awareness amongst the voters.

In fact, the situation here is very grim. While the public has to suffer because of Pollution, Traffic jams, Congestion, Waterlogging, Open Dhalav, Smoking Landfill sites, Potholes, Cave-ins, Drinking water issues, ......... the Leaders are not willing to even talk on these issues.

The only remedy is that voters in large numbers must come out to vote on 12th May 2019 so that pressure could be built on them. We are not asking the public to vote for any particular party or candidate, instead, we are asking the masses to COME OUT & VOTE to SAVE DELHI.

You can plan a visit to Kullu, Manali or Shimla any other time. You can plan a rest day on any other Sunday. But this Sunday, i.e. 12th May 2019 must be taken very seriously and so all of us must wait for the day & vote. You can cast your vote to any party, any candidate, we are not concerned with that as its the secret ballot. We just want that you must come out & vote. 

Our message on Social Media is 
#VoteDelhiSaveDelhi 
Pollution, Traffic Jam, Congestion, Waterlogging, Encroachment, Sanitation strikes, Yamuna..............All the issues of #Delhi can be resolved, only & only if you come out & Vote. Shimla can wait, Manali can wait. 
DELHI CAN NOT WAIT ANYMORE. 
VOTE DELHI SAVE DELHI.

Moreover, it's Mother's Day on 12th May 2019. So for the sake of all the Mothers, we must come out & vote. Please support the cause. Share it on your network for the massive reach.

With best regards,

B S Vohra
President,
East Delhi RWAs Joint Front
www.RWABhagidari.com

Thursday, April 25, 2019

अगर दिल्ली को पूरण राज्य का दर्जा नहीं मिल पाया तो क्या दिल्ली मे कोई भी काम नही होगा?


Times of India - This is what you need to do to get our vote - RWAs


Open the 35 year old Mandir of PD Vihar - RWAs demand


पूछो तो सही कि आख़िर दिल्ली वालों को क्या चाहिए?

दिल्ली के चुनावों मे मुद्दे भी तो दिल्ली के होने चाहिए जैसे की पोल्यूशन, ट्रॅफिक जाम, एंकरोचमेंट, वॉटर लॉगिंग, पॉट होल्स, लॅंडफिल साइट्स, गली मोहल्लों मे कूड़े के ढलाव, खुले नाले, डेंगू, चिकनगुनया, और जाने क्या क्या. 



क्या आपको नही लगता की 2019 आते आते, जो असली मुद्दे थे वो कहीं पीछे छूट गए हैं और हम लोग किसी मशीन की तरह ऑपरेट कर रहे हैं. बेशक यह सच है कि लोक सभा मे मुद्दे देश के होते हैं. लेकिन दिल्ली भी तो एक मिनी भारत है. तो फिर दिल्ली के मुद्दों को दरकिनार कैसे किया जा सकता है?

दुनिया की सबसे पोल्यूटेड कॅपिटल बनने के बाद भी कौन सी सरकार इस पर तवज़्ज़ो दे रही है? अब अगर 30 - 40,000 लोग हर साल इस पोल्यूशन से मर भी जाते हैं तो किसको फरक पड़ता है? कोई बोलता है बच्चों के लंग्ज़ खराब हो रहे हैं. कोई बोलता है बच्चों के ब्रेन श्रिंक हो रहे हैं. कोई बोलता है अगले 10 सालों मे ग्रीन हाउस इंपॅक्ट डबल हो जाएगा. 

यकीन मानीएगा, हमारी आने वाली पीडियों का तो शायद भगवान भी मालिक नही होगा, क्योंकि हम खुद अपने हाथों से उनकी कब्र खोद रहे हैं.

ट्रॅफिक जाम तो एक मामूली सी बात है. सरकारों को गाड़ियाँ बेचने से ही फ़ुर्सत नहीं है क्योंकि जाने कितना रेवेन्यू तो इन्ही की सेल्स से या फिर इनमे डालने वाले डीजल व पेट्रोल से मिलता है. और अब तो आपके घर के बाहर खड़ी आपकी गाड़ी पर भी पार्किंग चार्जस लगाने की बात चल रही है. यानी की आम के आम और गुठलियों के भी दाम.

हर गली मोहल्ले की छोटी बड़ी मार्केट्स मे एंक्रोचमेंट हो चुका है. लोगों ने फुटपाथ ही कब्ज़े मे कर लिए हैं. पैदल चलने तक की जगह नही है. सब देख रहे हैं मगर देख कर भी चुप हैं. अब फ़ेसबुक या फिर whatsApp से टाइम बचे तो कोई इस शहर के बारे मे भी सोचे.

दिल्ली के चारों तरफ खड़े कूड़े के सुलगते हुए पहाड़ और गली मोहल्लों मे कूड़े के खुले ढलाव, खुले नाले, फील ही नही होने देते की हम देश की राजधानी मे रहते हैं. और सोने पे सुहागा, पिछले चार सालों मे जाने कितनी बार सॅनिटेशन स्ट्राइक. जाने कितनी बार गली गली मे कचरे के ढेर, बदबू, डेंगू, चिकनगुनया और ना जाने क्या क्या.

गर्मी मे दिल्ली के लोग एक एक बूँद सॉफ पानी के लिए तरस जाते हैं और बरसातें आते ही दिल्ली की हर गली मोहल्ले मे नदियाँ बहने लगती हैं. छोटे छोटे बच्चे भी दो दो फिट के पानी मे से होकर स्कूल जाते हैं.

कहीं सड़कों मे खड्डे तो कहीं खद्डों मे सड़क. सरकारी अस्पतालों का बुरा हाल, पब्लिक ट्रांसपोर्ट चरमरा रहा है. सालों से चलने वाली दुकानों पर सीलिंग का डंडा. वन टाइम पार्किंग चार्जस लेने के बाद भी कहीं पार्किंग उपलब्ध नहीं. महिला सुरक्षा तो आज भी किसी कोने मे पड़ी हुई सिसक रही है.

आख़िर कौन जवाब देगा कि बिजली के फिक्स्ड चार्जस के नाम पर क्यों डिस्कोमस को मुनाफ़ा दिया जा रहा है? दिल्ली सरकार, पोवेर डिपार्टमेंट या फिर DERC के पास भी हमारे सवालों के जवाब क्यों नहीं हैं? क्यों दिल्ली के CM इस मुद्दे पर हम लोगों से मिलने मे कुरेज करते हैं? 


अफ़सोस इस बात का है कि हमारे नेताओं मे से किसी को दिल्ली चाहिए तो किसी को दिल्ली के पूरण राज्य का दर्जा, लेकिन कोई भी यह पूछ कर राज़ी नही है क़ि आख़िर दिल्ली वालों को क्या चाहिए? ऐसे मे अगर हम लोग भी अपनी आवाज़ नहीं उठाएँगे, तो सोचिए, क्या होगा इस दिल्ली का, 
क्योंकि ये नेता लोग तो सिर्फ़ अपना मेनीफेस्टो डिक्लेर करके ही अपनी ज़िम्मेदारियों से मुक्ति पा लेते हैं?