Friday, October 11, 2013
Thursday, October 10, 2013
Denial to power supply is violation of human rights: HC
A Subramani TNN
Chennai : In a landmark ruling, the Madras high court has said electricity supply is a legal right and its denial would amount to violation of human rights.
Justice S Manikumar, directing Tiruvannamalai district administration and Tamil Nadu Electricity Board (TNEB) to give electricity supply to over 180 families of launderers, on Tuesday said: “Access to electricity should be construed as a human right. Denial of it would amount to violation of human rights.
Noting that electricity has a bearing on education, health and family economy of the poor, Justice Manikumar said: “Lack of electricity supply is one of the determinative factors, affecting education, health and a cause of economy disparity, and consequently, inequality in society leading to poverty. Children without electricity supply cannot even imagine competing with others.”
with thanks : TOI : LINK
Wednesday, October 9, 2013
Tuesday, October 8, 2013
मुन्ना नहीं मिला !
" एक सज्जन बनारस पहुँचे। स्टेशन पर उतरे
ही थे कि एक लड़का दौड़ता आया,
‘‘मामाजी! मामाजी!’’ — लड़के ने लपक कर
चरण छूए।
वे पहचाने नहीं। बोले — ‘‘तुम कौन?’’
‘‘मैं मुन्ना। आप पहचाने नहीं मुझे?’’
‘‘मुन्ना?’’ वे सोचने लगे।
‘‘हाँ, मुन्ना। भूल गये आप मामाजी! खैर,
कोई बात नहीं, इतने साल भी तो हो गये।
मैं आजकल यहीं हूँ।’’
‘‘अच्छा।’’
‘‘हां।’’
मामाजी अपने भानजे के साथ बनारस घूमने
लगे। चलो, कोई साथ तो मिला। कभी इस
मंदिर, कभी उस मंदिर। फिर पहुँचे
गंगाघाट। बोले कि "सोच रहा हूँ,
नहा लूँ!"
‘‘जरूर नहाइए मामाजी! बनारस आये हैं और
नहाएंगे नहीं, यह कैसे हो सकता है?’’
मामाजी ने गंगा में डुबकी लगाई। हर-हर
गंगे! बाहर निकले तो सामान गायब, कपड़े
गायब!
लड़का... मुन्ना भी गायब!
‘‘मुन्ना... ए मुन्ना!’’
मगर मुन्ना वहां हो तो मिले। वे
तौलिया लपेट कर खड़े हैं। ‘‘क्यों भाई
साहब, आपने मुन्ना को देखा है?’’
‘‘कौन मुन्ना?’’
‘‘वही जिसके हम मामा हैं।’’
लोग बोले, ‘‘मैं समझा नहीं।’’
‘‘अरे, हम जिसके मामा हैं वो मुन्ना।’’
वे तौलिया लपेटे यहां से वहां दौड़ते रहे।
मुन्ना नहीं मिला।
ठीक उसी प्रकार...
भारतीय नागरिक और भारतीय वोटर के
नाते हमारी यही स्थिति है!
चुनाव के मौसम में कोई आता है और हमारे
चरणों में गिर जाता है। "मुझे
नहीं पहचाना! मैं चुनाव का उम्मीदवार।
होने वाला। मुझे
नहीं पहचाना...?"
आप प्रजातंत्र की गंगा में डुबकी लगाते
हैं।
बाहर निकलने पर आप देखते हैं कि वह शख्स
जो कल आपके चरण छूता था, आपका वोट
लेकर गायब हो गया।
वोटों की पूरी पेटी लेकर भाग गया।
समस्याओं के घाट पर हम तौलिया लपेटे खड़े
हैं। सबसे पूछ रहे हैं — "क्यों साहब, वह
कहीं आपको नज़र आया? अरे वही, जिसके
हम वोटर हैं। वही, जिसके हम मामा हैं।"
पांच साल इसी तरह तौलिया लपेटे, घाट
पर खड़े बीत जाते हैं।
आगामी चुनावी स्टेशन पर भांजे
आपके इंतजार मे....."
ही थे कि एक लड़का दौड़ता आया,
‘‘मामाजी! मामाजी!’’ — लड़के ने लपक कर
चरण छूए।
वे पहचाने नहीं। बोले — ‘‘तुम कौन?’’
‘‘मैं मुन्ना। आप पहचाने नहीं मुझे?’’
‘‘मुन्ना?’’ वे सोचने लगे।
‘‘हाँ, मुन्ना। भूल गये आप मामाजी! खैर,
कोई बात नहीं, इतने साल भी तो हो गये।
मैं आजकल यहीं हूँ।’’
‘‘अच्छा।’’
‘‘हां।’’
मामाजी अपने भानजे के साथ बनारस घूमने
लगे। चलो, कोई साथ तो मिला। कभी इस
मंदिर, कभी उस मंदिर। फिर पहुँचे
गंगाघाट। बोले कि "सोच रहा हूँ,
नहा लूँ!"
‘‘जरूर नहाइए मामाजी! बनारस आये हैं और
नहाएंगे नहीं, यह कैसे हो सकता है?’’
मामाजी ने गंगा में डुबकी लगाई। हर-हर
गंगे! बाहर निकले तो सामान गायब, कपड़े
गायब!
लड़का... मुन्ना भी गायब!
‘‘मुन्ना... ए मुन्ना!’’
मगर मुन्ना वहां हो तो मिले। वे
तौलिया लपेट कर खड़े हैं। ‘‘क्यों भाई
साहब, आपने मुन्ना को देखा है?’’
‘‘कौन मुन्ना?’’
‘‘वही जिसके हम मामा हैं।’’
लोग बोले, ‘‘मैं समझा नहीं।’’
‘‘अरे, हम जिसके मामा हैं वो मुन्ना।’’
वे तौलिया लपेटे यहां से वहां दौड़ते रहे।
मुन्ना नहीं मिला।
ठीक उसी प्रकार...
भारतीय नागरिक और भारतीय वोटर के
नाते हमारी यही स्थिति है!
चुनाव के मौसम में कोई आता है और हमारे
चरणों में गिर जाता है। "मुझे
नहीं पहचाना! मैं चुनाव का उम्मीदवार।
होने वाला। मुझे
नहीं पहचाना...?"
आप प्रजातंत्र की गंगा में डुबकी लगाते
हैं।
बाहर निकलने पर आप देखते हैं कि वह शख्स
जो कल आपके चरण छूता था, आपका वोट
लेकर गायब हो गया।
वोटों की पूरी पेटी लेकर भाग गया।
समस्याओं के घाट पर हम तौलिया लपेटे खड़े
हैं। सबसे पूछ रहे हैं — "क्यों साहब, वह
कहीं आपको नज़र आया? अरे वही, जिसके
हम वोटर हैं। वही, जिसके हम मामा हैं।"
पांच साल इसी तरह तौलिया लपेटे, घाट
पर खड़े बीत जाते हैं।
आगामी चुनावी स्टेशन पर भांजे
आपके इंतजार मे....."
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Sunday, October 6, 2013
Delhi Assembly Elections !
May i just ask from the readers, that, can we never come up, think & talk, over and above our personal interests & discuss the truth that really bothers our own city ?
Friday, October 4, 2013
Doctors call for tests on 'mystery' pollution found in Yamuna
Pollution in Yamuna refuses to come down despite efforts by the Delhi government and various agencies to reduce the contamination levels in the river.
The sorry picture once again came to the fore recently when Delhi Jal Board officials stumbled upon some "mystery" pollutants which are found to be deteriorating the water quality of the river to a dangerous level.
The rise in levels of cyanotoxins and other unidentified pollutants found in Yamuna may pose severe health risks.
The unidentified pollutants were discovered during a disinfection drive by the Jal Board in the river.
By their own admission, Jal Board officials don't have the necessary technology to find out the origin of these contaminants, which may pose severe health risks to humans.
The Jal Board scientists, who conducted a water chlorination study, said heavy doses of chlorine would be required to decontaminate these pollutants.
They claimed to have found several unidentified by-products in the river water, which form when chlorine reacts with ammoniacal contaminants and cyanobacterial bloom. This also suggests the presence of cyanobacterial bloom in Yamuna, exposure to which poses severe health risks to humans.
with thanks : dailymail : LINK : for detailed news.
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