दिल्ली में हर वर्ष सर्दियों के मौसम में वायु प्रदूषण एक गंभीर संकट के रूप में सामने आता है। हवा में घुले विषैले प्रदूषक न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुँचाते हैं, बल्कि मानव स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और सामान्य जीवन पर भी गहरा प्रभाव डालते हैं। दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) अकसर ‘सीवियर’ श्रेणी में पहुँच जाता है, जो यह दर्शाता है कि हवा में मौजूद कण (PM2.5 और PM10) सुरक्षित स्तर से कई गुना अधिक हैं। यह स्थिति दिल्ली-एनसीआर के करोड़ों लोगों के लिए अत्यंत हानिकारक है।
सबसे पहले स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों की बात करें तो वायु प्रदूषण फेफड़ों और हृदय से जुड़ी बीमारियों को बढ़ावा देता है। लगातार प्रदूषित हवा में सांस लेने से खाँसी, सांस फूलना, आंखों में जलन, एलर्जी और अस्थमा जैसी समस्याएँ तेजी से बढ़ती हैं। बच्चों, बुजुर्गों और गर्भवती महिलाओं के लिए यह स्थिति और भी खतरनाक होती है।
लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने से फेफड़ों की कार्यक्षमता घट जाती है और हृदय संबंधी रोगों का जोखिम बढ़ जाता है। कई मामलों में गंभीर प्रदूषण का प्रभाव क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) और फेफड़ों के कैंसर तक भी पहुँच सकता है। डॉक्टरों के अनुसार, दिल्ली में शीतकाल के दौरान श्वसन संबंधी मरीजों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है, जिससे अस्पतालों पर भी अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
दूसरा बड़ा नुकसान पर्यावरण पर पड़ता है। वायु प्रदूषण से पेड़ों की पत्तियाँ समय से पहले झड़ने लगती हैं और पौधों की वृद्धि प्रभावित होती है। हवा में मौजूद सल्फर डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे प्रदूषक अम्लीय वर्षा का कारण बनते हैं, जो मिट्टी और जलस्रोतों को भी हानि पहुँचाती है। प्रदूषण की अधिकता से दिल्ली के चारों ओर मौजूद हरियाली पर भी बुरा असर पड़ता है। इसके अलावा, हवा में धुंध और स्मॉग की परत सूर्य की किरणों को रोक देती है, जिससे तापमान में असामान्य बदलाव देखने को मिलता है और मौसम चक्र प्रभावित होता है। यह स्थिति जलवायु परिवर्तन की समस्याओं को और बढ़ा देती है।
वायु प्रदूषण का आर्थिक प्रभाव भी कम नहीं है। बढ़ती बीमारियों के कारण लोगों को इलाज पर अधिक खर्च करना पड़ता है और कई बार कामकाजी दिनों का नुकसान भी होता है। स्कूलों और कार्यालयों को बंद करने की स्थिति पैदा हो जाती है, जिससे शिक्षा और व्यापार दोनों प्रभावित होते हैं। निर्माण कार्यों और वाहन उपयोग पर लगाए गए प्रतिबंधों से व्यवसायिक गतिविधियाँ धीमी पड़ जाती हैं। प्रदूषण के कारण पर्यटकों की संख्या भी घटती है, जो दिल्ली की अर्थव्यवस्था के लिए चिंताजनक है।
अंततः, सामाजिक जीवन भी इस प्रदूषण का शिकार होता है। लोग बाहरी गतिविधियों से बचने लगते हैं, बच्चे मैदानों में खेल नहीं पाते और सामान्य जीवनशैली प्रभावित होती है। मास्क पहनना अनिवार्य हो जाता है और स्वच्छ हवा जैसी बुनियादी आवश्यकता भी एक चुनौती बन जाती है।
संक्षेप में, दिल्ली में गंभीर वायु प्रदूषण स्वास्थ्य, पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और समाज—चारों स्तरों पर भारी नुकसान पहुँचाता है। इस समस्या से निपटने के लिए सरकार, उद्योगों और नागरिकों सभी को मिलकर दीर्घकालिक समाधान अपनाने होंगे, जैसे—स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग, सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा, वृक्षारोपण और प्रदूषण नियंत्रण नियमों का कड़ाई से पालन। केवल सामूहिक प्रयासों से ही दिल्ली को स्वच्छ और स्वस्थ हवा मिल सकती है।
B S Vohra, Environment Activist President, East Delhi RWAs Joint Front


