Discussion on Power Tariff : Total TV : B S Vohra
LINK : http://www.youtube.com/watch?v=iZNbldnGTD8
Badti Garmi, Ghat ta pani : Delhi Aajtak : B S Vohra : Part 2
LINK : http://www.youtube.com/watch?v=z4wblbDZFm4
Saturday, March 23, 2013
Stray dog problem in Shalimar Bagh too !
We too are facing a great problem with increasing numbers of stray dogs in our locality. There are many cases of dog bites, but no body is bothered to hear to the problems of the residents. The Govt. should step up early solution in eradicating the menace of stray dogs.
R K Nanda
President
'Sahyog' Varisht Nagrik Manch(Regd.),
Shalimar Bagh, Delhi. 110088.
Friday, March 22, 2013
Harassment to Senior Citizens by Delhi Jal Board
Central Govt., Delhi State Govt. and other Departments launch various laxity plans for
the Senior Citizens. Finance Deptt. exempts the Senior Citizens in Income Tax
upto Rs. 2,50,000/-, which is exempted upto Rs. 5,00,000/- in case of Super
Seniors like me. Delhi Police extends special security and certain Banks
provide the services at their door steps for Senior Citizens.
BUT, PERHAPS, DELHI
JAL BOARD HAVE DECIDED TO HARRAS THE SENIORS.
I,
am 86 year old person, living alone with my wife 80 years in B3A/58—A,
Janakpuri, New Delhi. Our water meter connection No. is J-6049. This meter is stopped for decades and the
bill was raised on average @ 7 K.L. per month upto January 2011. From March 2011 the consumption rate was
increased to 8 K.L. per month arbitrarily. Surprisingly the consumption was
raised to 20 K.L. per month from March, 2012.
We
have no servant, no conveyance and no reason to waste water. The rise in
average consumption is not understood. Your Zone is not prepared to listen. The
defective meter is to be replaced by Department and not me.
You
are requested to direct the Zonal Revenue Officer, Janakpuri to amend the
bills, wrongly raised. We always pay in advance.
We
are eagerly awaiting your reply.
S.K.
CHANDAN
B3A/58-A,
Janakpuri, New Delhi.
Thursday, March 21, 2013
कंज्यूमर क्यों झेले 'एक्स्ट्रा' करंट?
नई दिल्ली।। बिजली का नया टैरिफ तय करने की प्रोसेस में दिल्ली इलैक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी अथॉरिटी ( डीईआरसी ) के पास लोग सुझाव भेज रहे हैं। अगले महीने इस पर पब्लिक हेयरिंग होगी , जिसमें कई इशू उठाए जाएंगे। इसके बाद ही तय होगा कि दिल्ली में बिजली के नए रेट क्या होंगे। कई आरडब्लूए बिजली की खरीदने पर भी सवाल उठा रही हैं।
एक्स्ट्रा पावर का बोझ क्यों ? : डीईआरसी को भेजे सुझाव में जीके -1 आरडब्लूए प्रतिनिधि राजीव काकरिया ने कहा कि ' ओवर प्रोविजनिंग ' से कंस्यूमर की जेब पर एक्स्ट्रा बोझ पड़ा है। ओवर प्रोविजनिंग का मतलब है जरूरत से ज्यादा बिजली की खरीद। बिजली कंपनियों के पास ऐसे सॉफ्टवेयर हैं जिनसे पीक डिमांड का अंदाजा लगाया जा सकता है। इससे 2-3 पर्सेंट ज्यादा बिजली खरीदी जा सकती है। लेकिन अभी 24 घंटे बिजली देने के नाम पर डिमांड से बहुत ज्यादा बिजली खरीदी जा रही है। जिससे बाद में दिखाया जाता है कि खरीदी गई एक्स्ट्रा बिजली को कम दाम में बेचा गया और घाटे की भरपाई के लिए कंस्यूमर की जेब खाली की जाती है। इसके बावजूद दिल्ली में बिजली गुल हो ही रही है। अगर अचानक डिमांड बढ़ती है तो कंपनी कुछ बिजली महंगे दाम में खरीद सकती हैं।
ज्यादा बिजली खर्च करने वाले चुकाएं ज्यादा दाम : सुझाव में कहा गया है कि जिन लोगों की वजह से ज्यादा बिजली खरीदनी पड़ती है , उन्हीं से एक्स्ट्रा दाम लिए जाएं। अभी खरीदी गई बिजली का बोझ सारे कंस्यूमर्स पर डाला जाता है , चाहे वह 300 यूनिट बिजली खर्च करे या 1500 यूनिट। जो कंस्यूमर महीने में 1200 या इससे ज्यादा बिजली खर्च करते हैं उनसे ज्यादा कीमत ली जाए ताकि लोग कम बिजली खर्च करने को भी प्रोत्साहित हों।
मैकेनिजम हो ट्रांसपेरेंट : ईस्ट दिल्ली आरडब्लूए जॉइंट फ्रंट के बी . एस . वोहरा ने कहा कि पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन के आंकड़े दिखाते हैं कि बिजली कंपनियों को फायदा हो रहा है जबकि कंपनियां कहती हैं कि वह घाटे में हैं। वह कहां से कितनी बिजली खरीदते हैं यह जानकारी वेबसाइट पर डालनी चाहिए। ऊर्जा संस्था के सौरभ गांधी ने कहा कि पावर परचेज कॉस्ट अडजेस्टमेंट के नाम पर कंस्यूमर से ज्यादा बिल लेने का जो ऑर्डर दिया है वह गैर कानूनी है और इसे वापस लिया जाना चाहिए।
एक्स्ट्रा पावर का बोझ क्यों ? : डीईआरसी को भेजे सुझाव में जीके -1 आरडब्लूए प्रतिनिधि राजीव काकरिया ने कहा कि ' ओवर प्रोविजनिंग ' से कंस्यूमर की जेब पर एक्स्ट्रा बोझ पड़ा है। ओवर प्रोविजनिंग का मतलब है जरूरत से ज्यादा बिजली की खरीद। बिजली कंपनियों के पास ऐसे सॉफ्टवेयर हैं जिनसे पीक डिमांड का अंदाजा लगाया जा सकता है। इससे 2-3 पर्सेंट ज्यादा बिजली खरीदी जा सकती है। लेकिन अभी 24 घंटे बिजली देने के नाम पर डिमांड से बहुत ज्यादा बिजली खरीदी जा रही है। जिससे बाद में दिखाया जाता है कि खरीदी गई एक्स्ट्रा बिजली को कम दाम में बेचा गया और घाटे की भरपाई के लिए कंस्यूमर की जेब खाली की जाती है। इसके बावजूद दिल्ली में बिजली गुल हो ही रही है। अगर अचानक डिमांड बढ़ती है तो कंपनी कुछ बिजली महंगे दाम में खरीद सकती हैं।
ज्यादा बिजली खर्च करने वाले चुकाएं ज्यादा दाम : सुझाव में कहा गया है कि जिन लोगों की वजह से ज्यादा बिजली खरीदनी पड़ती है , उन्हीं से एक्स्ट्रा दाम लिए जाएं। अभी खरीदी गई बिजली का बोझ सारे कंस्यूमर्स पर डाला जाता है , चाहे वह 300 यूनिट बिजली खर्च करे या 1500 यूनिट। जो कंस्यूमर महीने में 1200 या इससे ज्यादा बिजली खर्च करते हैं उनसे ज्यादा कीमत ली जाए ताकि लोग कम बिजली खर्च करने को भी प्रोत्साहित हों।
मैकेनिजम हो ट्रांसपेरेंट : ईस्ट दिल्ली आरडब्लूए जॉइंट फ्रंट के बी . एस . वोहरा ने कहा कि पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन के आंकड़े दिखाते हैं कि बिजली कंपनियों को फायदा हो रहा है जबकि कंपनियां कहती हैं कि वह घाटे में हैं। वह कहां से कितनी बिजली खरीदते हैं यह जानकारी वेबसाइट पर डालनी चाहिए। ऊर्जा संस्था के सौरभ गांधी ने कहा कि पावर परचेज कॉस्ट अडजेस्टमेंट के नाम पर कंस्यूमर से ज्यादा बिल लेने का जो ऑर्डर दिया है वह गैर कानूनी है और इसे वापस लिया जाना चाहिए।
with thanks : Nav Bharat Times : March 18, 2013 : Link
RWAS say budget is ‘please-all’
Resident welfare associations across the Capital expressed their unhappiness over the 2013-2014 budget.
According to BS Vohra of the East Delhi RWAs Joint Front, the budget provides no relief for the common man. “There is no relief in prices of petrol, diesel, electricity and power.What will the common man do with decrease in taxes on desi ghee and kite flying? This is not a good budget at all,” Vohra said.
The budget has proposed a one-time grant of Rs. 1 lakh to those RWAs who offer space to keep health equipment such as treadmills and will run the facility on non-profit basis. “This will be of no use as there will be infighting and politics over the allocated amount,” he said.
Rajiv Kakria, a member of a Greater Kailash I RWA, said it was a “please-all budget with little substance”.
with thanks : Hindustan Times : LINK
Rajiv Kakria, a member of a Greater Kailash I RWA, said it was a “please-all budget with little substance”.
with thanks : Hindustan Times : LINK
1L for RWAs to start gyms
TIMES NEWS NETWORK
New Delhi: In this election year, the government is willing to nudge Delhiites towards fitness with grants to their welfare associations for buying equipment. Under the proposal, RWAs will get onetime grants of Rs 1 lakh each if they offer space to install equipment like treadmills, undertake to maintain them, and let residents use them for nominal fees. The money for the RWAs will be part of ‘My Delhi I Care Fund’.
“It is a heartening development that many progressive RWAs of Delhi are organizing free yoga classes in nearby parks voluntarily. I propose to support such efforts,” said CM Sheila Dikshit in the assembly on Wednesday.
RWAs welcomed the announcement but sounded skeptical about its implementation. “The scheme sounds good but we are not sure how they expect RWAs to offer space? The land belongs to either DDA or the municipality. I hope the scheme does not get entangled in technicalities,” said M K Gupta, member, Greater Kailash-I RWA.
B S Vohra of East Delhi RWAs Joint Front also raised concerns over its implementation. “One can’t put a treadmill in a park. Government should ask MLAs or councillors to give money from their funds for construction of a room to be used as gym.”
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