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Saturday, September 22, 2018

हम से क्या भूल हुई, जो ये सज़ा हम को मिली ?

पूर्वी दिल्ली मे इन चार सालों मे होने वाली सॅनिटेशन वर्कर्स की स्ट्राइक्स के बाद सिर्फ़ एक सवाल बचता है पूछने के लिए कि हमसे क्या भूल हुई, जो ये सज़ा हम को मिली. एक बार घर से निकल कर देखिए तो सही कि क्या ये वो ही दिल्ली हैं जिसे हम कभी मेरी दिल्ली मेरी शान के तगमे से नवाज़ा करते थे. और आज की तारीख मे सिर्फ़ और सिर्फ़ कचरा, कचरे के ढेर, गली गली मे कचरा, हर नुक्कड़ पे कचरा, हर मोहल्ले मे कचरा, इसकी पहचान हो गए है.


और इस कचरे के साथ साथ दिक्कत ये भी हो गई है कि कोई सुनने वाला भी नही है. पहले तो ज़रा सी तकलीफ़ होने पर दिल्ली की RWAs भाग कर SDM के पास पहुँच जाती थी, लेकिन भागीदारी के ख़तम होते ही, सब कुछ ख़तम हो गया. अब तो सब का अपनी ढफ्ली, अपने राग वाला हिसाब है. EDMC कहती है की दिल्ली सरकार उनको फंड नही दे रही और इसलिए उनके पास कोई भी पैसा नही है, काम करने के लिए. दूसरी तरफ दिल्ली सरकार दिल्ली हाइ कोर्ट के आदेश के बाद भी EDMC को फंड्स ना देकर, सुप्रीम कोर्ट चली गई है.

और इस पूर्वी दिल्ली की हालत देखिए, किसी भूखे भिखारी के फटे झोले की तरह, सड़कों पर जगह जगह इतने खड्डे हैं कि समझ मे ही नही आता की सड़क पे खड्डे हैं या फिर खद्डों मे सड़क है. इसके बाद, बरसातों मे भारी जल भराव, डेंगू और चिकनगुनया का लगातार ध्वज लहराना, और इन सॅनिटेशन वर्कर्स को तनख़्वाह ना मिलने के कारण, पूरी EDMC का कचरे के ढेर मे बदल जाना, सिर्फ़ यही दर्शाता है, कि ज़रूर हम से ही कोई भूल हुई, जिसकी ये सज़ा हम को मिली.

और हमारे दिल्ली के CM साहेब की सारी तवज्जो तो सिर्फ़ NDMC के एरीयाज़ मे है कि उधर की RWAs को 10 करोर का फंड मिल जाए ताकि वो लोग अपने काम करवा पाएँ ताकि उनकी सीट तो पक्की हो जाए, और बाकी की RWAs तो सिर्फ़ बेवकूफ़ बनाने के लिए हैं. चुनावों से पहले बड़े बड़े वादे कर लो, और चुनावों के बाद पलट कर भी ना देखो. भाई हमे आपसे कोई भी फंड नही चाहिए, हमे तो हमारे वाली वो पुरानी दिल्ली लौटा दो, जिसमे भागीदारी हुआ करती थी, जिसमे सड़कों पर कचरे के ढेर नही हुआ करते थे, जिसमे हमारी सुनवाई भी हो जाती थी.

अब आप कहोगे कि उस दिल्ली मे बिजली कितनी मैंहगी हुआ करती थी, तो जनाब, कसर तो आपने भी नही छोडी है. वो लोग सीधे से पैसा खींच लेते थे, आप लोग थोड़ा सा टेडा करके खींच रहे हो. यकीन नही होता तो बिजली के फिक्स्ड चार्जस को ही देख लो. टोटल पीक लोड सिर्फ़ 7,115 MW और हम लोग फिक्स्ड चार्जस दे रहे हैं 22,876 MW पर. आप कहोगे की भाई, पहले भी तो यही होता था. लेकिन जनाब, तब रेट हुआ करते थे 20/-, 35-, 45/- per KW, और आपने इसी मार्च 2018 से रेट कर दिए 120/-, 145/-. 175/- और 250/- तक per KW.

दूसरी तरफ EDMC को भी चाहिए की अगर दिल्ली सरकार सुन के राज़ी नही है तो आप सिर्फ़ फंड ना होने का रोना रोकर बच तो नही सकते. पूरे भारत मे आपकी सरकार है. अगर मोदी जी दूसरे परदेशों को किसी भी त्रासदी मे मदद कर सकते हैं, तो वो दिल्ली की इस त्रासदी मे दिल्ली वालों की मदद भी कर सकते हैं. एक बार उनसे फंड्स लेकर दिल्ली को इस कचरे की राजनीति से निज़ात दिलवाइए और दिल्ली की शान ओ शौकत को वापिस लौटाइए. वरना दिल्ली के लोगों को मजबूर होकर यही बोलना पड़ेगा कि हम से क्या भूल हुई, जो ये सज़ा हम को मिली ?

B S Vohra
President,
East Delhi RWAs Joint Front - Federation
www.RWABhagidari.com
www.RWABhagidari.blogspot.in

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