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Friday, June 26, 2015

एक अच्छा बजेट, लेकिन अभी बहुत कुछ बाकी है : ITN

By B S Vohra, New Delhi, June 26:

B S VOHRA,RWA-SM














आम आदमी पार्टी का पहला बजेट, एक अच्छा बजेट, जिसमे एजुकेशन पर भारी ज़ोर दिया गया, जिसमे हेल्थ पर भी काफ़ी ज़ोर दिया गया. काफ़ी कुछ अछा था जैसे की डिजिटल हेल्थ कार्ड जिसमे की आपकी  संपूरण मेडिकल हिस्टरी दर्ज़ की जा सकती है. स्कूल पार्क्स को लोकल बच्चों के लिए खोलना भी अछा कदम है. साथ ही साथ 10 + 2 के बाद, स्किल सर्टिफिकेट का मिलना एक वरदान साबित हो सकता है उन बच्चों के लिए जो की90% नंबर ला कर भी कॉलेजस मे सीट नही पा सकते.

1,000 मोहल्ला क्लिनिक्स, अस्पतालों मे 10,000 नए बेड्स, 236 नए स्कूल, बसो मे cctv, 10,000 नई बसे, 5000 नए स्कूटर पर्मिट्स, इत्यादि, इत्यादि, तो सुनने मे अछा लगा. लेकिन स्वराज फंड मे सिर्फ़ 253 करोड़ और वो भी 70 असेंब्लीस के लिए या फिर 280 कॉर्पोरेशन्स के लिए काफ़ी कम था. इसी तरह सिर्फ़ 11 असेंबलिएस को 20 – 20 करोड़ की रकम देना कही न कही बाकी की 59 असेंबलिएस के लिए दुख दायक था क्योंकि अब बाकी की असेंबलिएस को अगले बजेट का इंतेज़ार करना पड़ेगा.
लेकिन जो बात समझ से परे थी वो ये था की पोल्यूशन को रोकने के लिए, ट्रकर्स पे टॅक्स लगा देना. क्या इससे पोल्यूशन रुक जाएगी ? या फिर इसकी वजह से दिल्ली मे आने वाली सभी वस्तुओं के दाम बड़ जाएँगे क्योंकि जो गाड़ियाँ दिल्ली मे आनी है दिल्ली की ज़रूरत को पूरा करने के लिए, उनको तो आना ही है, चाहे आप कितना भी टॅक्स लगा दें.
लेकिन इसके साथ साथ आपने लग्जरी टॅक्स बड़ा दिया, एंटरटेनमेंट टॅक्स बड़ा दिया, dth या फिर केबल टीवी पे टॅक्स बड़ा दिया. जो आम आदमी घर पे बैठ कर टीवी देखा करता था, आपने उसकी भी जेब काट ली. जो आम आदमी कभी कभी बाहर घूमने के बहाने, कभी पिक्चर देखने चला जाता था या फिर किसी होटेल मे खाना खा लेता था, आपने उसकी जेब भी काट ली. आप खुद कहते हैं की दिल्ली वाले 1,30,000 करोड़ का इनकम टॅक्स और सर्विस टॅक्स पे करते है, तो अब ये रोज मररा की चीज़ों पे टॅक्स लगा कर आप क्या हासिल कर पाओगे ?
एजुकेशन और हेल्थ पे ज़ोर देना तो अछा है पर इसके साथ साथ ज़रूरत इस बात की भी थी की पोल्यूशन को रोकने की लिए ठोस कदम उड़ाए जाते, सड़कों पे ट्रॅफिक जाम को रोकने के लिए ठोस क़दम उठाए जाते, गली मोहल्लों मे मानसून के भारी जल भराव को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाते और देखना यह भी है की जो 10 – 10 लाख का लोन बिना किसी गारंटी के बच्चों को दिया जाना है, उसका कहीं मिसयूज़ ना हो वरना अंत मे वो पैसे भी निकालने तो आख़िर टॅक्स पेयर की जेब से ही हैं.
लेकिन मनीष ने ये बिल्कुल सही कहा की दिल्ली वालों को आख़िर 1,30,000 करोड़ मे से सिर्फ़ 325 करोड़ का ही शेयर क्यों मिलता है. इसके लिए अरविंद सरकार को केंद्रीय सरकार से मिल बैठ कर बात करनी होगी ताकि दिल्ली के शेयर को बदाया जा सके क्योंकि टकराव की राजनीति से दिल्ली वालों को कुछ भी हासिल नही होगा. अंत मे सिर्फ़ यही कहूँगा की एक अछा बजेट, लेकिन अभी बहुत कुछ बाकी है.
( The writer is President, East Delhi RWAs Joint Front. He can be reached at rwabhagidari@yahoo.in. Vews expressed are personal. )

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