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Tuesday, April 9, 2013

आप घर के अन्य सदस्यों से मिलकर तय कर लें कि भीतर किसे निमंत्रित करना है

एक दिन एक औरत अपने घर के बाहर आई
और उसने तीन संतों को अपने घर के सामने
देखा। वह उन्हें जानती नहीं थी। औरत ने
कहा – “कृपया भीतर आइये और भोजन
करिए।”
संत बोले – “क्या तुम्हारे पति घर पर हैं?”
औरत ने कहा – “नहीं, वे अभी बाहर गए
हैं।”
संत बोले – “हम तभी भीतर आयेंगे जब वह
घर पर हों।”
शाम को उस औरत कापति घर आया और
औरत ने उसे यह सबबताया।
औरत के पति ने कहा – “जाओ और उनसे
कहो कि मैं घर आ गया हूँ और उनको आदर
सहित बुलाओ।”
औरत बाहर गई और उनको भीतर आने के
लिए कहा।
संत बोले – “हम सबकिसी भी घर में एक
साथ नहीं जाते।”
“पर क्यों?” – औरत ने पूछा।
उनमें से एक संत ने कहा – “मेरा नाम धन
है” – फ़िर दूसरे संतों की ओर इशारा कर के
कहा – “इन दोनों के नाम सफलता और
प्रेम हैं। हममें से कोई एक ही भीतर आ
सकता है। आप घर के अन्य सदस्यों से
मिलकर तय कर लें कि भीतर किसे
निमंत्रित करना है।”
औरत ने भीतर जाकर अपने पति को यह सब
बताया। उसका पति बहुत प्रसन्न
हो गया और बोला – “यदि ऐसा है तो हमें
धन को आमंत्रित करना चाहिए।
हमारा घर खुशियों से भर जाएगा।”
लेकिन उसकी पत्नी ने कहा – “मुझे
लगता है कि हमें सफलता को आमंत्रित
करना चाहिए।”
उनकी बेटी दूसरे कमरे से यह सब सुन
रही थी। वह उनके पास आई और बोली –
“मुझे लगता है कि हमें प्रेम को आमंत्रित
करना चाहिए। प्रेम से बढ़कर कुछ
भी नहीं हैं।”
“तुम ठीक कहती हो, हमें प्रेम
को ही बुलाना चाहिए” – उसके माता-
पिता ने कहा।
औरत घर के बाहर गई और उसने संतों से
पूछा – “आप में से जिनका नाम प्रेम है वे
कृपया घर में प्रवेश कर भोजन गृहण करें।”
प्रेम घर की ओर बढ़ चले। बाकी के दो संत
भी उनके पीछे चलने लगे।
औरत ने आश्चर्य से उन दोनों से पूछा – “मैंने
तो सिर्फ़ प्रेम को आमंत्रित किया था।
आप लोग भीतर क्यों जा रहे हैं?”
उनमें से एक ने कहा – “यदि आपने धन और
सफलता में से किसी एक को आमंत्रित
किया होता तो केवल वही भीतर जाता।
आपने प्रेम को आमंत्रित किया है। प्रेम
कभी अकेला नहीं जाता। प्रेम जहाँ-
जहाँ जाता है, धन और सफलता उसके पीछे
जाते हैं।

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