बिजली वितरण कंपनियों को डीईआरसी की सलाह
नई दिल्ली ( एसएनबी)। विद्युत विनियामक आयोग ने तीनों बिजली वितरण
कंपनियों और सरकार को पत्र लिखकर सीएजी के पैनल वाले सीए से खातों की जांच
कराने और तीन वर्ष में इस पैनल को बदलने की ताकीद की है। पत्र में लिखा है
जब तक हाईकोर्ट में मामला लंबित है तब तक सीएजी के पैनल वाले सीए से खातों
की जांच कराएं और हाईकोर्ट का निर्णय आने के बाद उसके दिशा निर्देशों का
पालन करें। सोमवार को दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग ने राजधानी की बिजली
वितरण कंपनी बीएसईएस राजधानी, बीएसईएस यमुना और टीपीडीडीएल के अलावा दिल्ली
सरकार को पत्र लिखा है कि जब तक सीएजी मामले की जांच से संबंधित मामला
हाईकोर्ट में लंबित है, तब तक तीनों बिजली वितरण कंपनियों के खातों की जांच
सीएजी के पैनल वाले सीए से कराई जाए। तीनों बिजली वितरण कंपनियां प्रति
तीन वर्ष में यह पैनल बदल लें और दूसरे पैनल से जांच कराएं। जिससे दिल्ली
के 42 लाख बिजली उपभोक्ताओं के मन से खातों में हेराफेरी का संशय मिट सके।
उन्होंने पत्र में कहा कि राजधानी के बिजली उपभोक्ता जनसुनवाई के दौरान
तीनों बिजली वितरण कंपनियों के खातों की जांच सीएजी से कराने की मांग करते
हैं, लेकिन सीएजी से संबंधित मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन है इसलिए जब तक
हाईकोर्ट का निर्णय नहीं आता है तब तक सीएजी के पैनल वाले सीए से खातों की
जांच कराई जाए। इस मामले में डीईआरसी केअध्यक्ष पीडी सुधाकर ने कहाकि
दिल्ली की बिजली वितरण में बिजली वितरण कंपनियों की भागदारी 51 प्रतिशत और
सरकार की 49 प्रतिशत है। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में सरकार के भी नुमाइंदे
होंगे। इसलिए बिजली वितरण कंपनियों के साथ दिल्ली सरकार को भी पत्र लिखा
गया है। गौरतलब है कि राजधानी की बिजली वितरण कंपनियों पर बिजली उपभोक्ता
आय व्यय के ब्योरों में हेराफेरी का आरोप लगाते हुए तीनों बिजली वितरण
कंपनियों के खातों की जांच सीएजी से कराने की मांग करते रहे हैं। बिजली
उपभेक्ताओं की मांग को पूरा करने के लिए डीईआरसी ने यह निर्णय लिया है।
जबकि डीईआरसी के इस निर्णय से बिजली उपभोक्ता और आरडब्ल्यूए के पदाधिकारी
संतुष्ट नहीं है।
आरडब्ल्यूए ज्वांइट फ्रंट के अध्यक्ष बीएस बोहरा ने कहा
कि सीएजी के पैनल वाले सीए को खातों की जांच के लिए बिजली वितरण कंपनियां
नियुक्त करेंगी तो जो कंपनी जिस सीए को नियुक्त करेगी वह उसी के हितों की
पूर्ति करेंगी। इसलिए ईमानदारी से खातों की जांच होना संभव नहीं है। जबकि
पूर्वी दिल्ली आरडब्ल्यूए के अध्यक्ष अनिल वाजपेयी ने कहा कि सीएजी द्वारा
नियुक्त सीए अगर जांच करें तो दूध का दूध और पानी का पानी हो सकता है। अगर
सीएजी के पैनल से बिजली वितरण कंपनियों के खातों की जांच कराई जाती है तो
पैनल वाले सीए से बिजली वितरण कंपनियों के खातों की ईमानदारी से जांच संभव
नहीं है। जबकि ग्रेटर कैलाश आरडब्ल्यूए के राजीव कांकरिया ने कहा कि बिजली
उपभोक्ताओं की मांग बिजली वितरण कंपनियों के खातों की जांच सीएजी से कराने
की है। उन्होंने कहा कि दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग बिजली वितरण कंपनियों
का हित देखती है इसलिए सीएजी के पैनल वाले सीए से खातों की जांच कराने को
तैयार हो गई है। उन्होंने कहाकि डीईआरसी की राय से बिजली उपभोक्ता सहमत
नहीं है। उन्होंने कहाकि बिजली उपभोक्ता बिजली वितरण कंपनियों के खातों की
जांच सीएजी से कराने के लिए धरना और आंदोलन करते रहेंगे।
डीईआरसी ने तीनों बिजली वितरण कंपनियों और सरकार को लिखा पत्र
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