इस बार अप्रैल में तय हो सकती हैं नई बिजली दरें!
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बिजली कंपनियों के आय-व्यय का ब्योरा नेट पर डाला
नई दिल्ली (एसएनबी)। दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग ने बिजली वितरण व
उत्पादन कंपनियों के आय व्यय ब्योरा अपनी वेबसाइट पर डालकर इस पर
उपभोक्ताओं की राय और सुझाव मांगे हैं। दरअसल, आयोग विधानसभा चुनाव के
मद्देनजर इस बार अप्रैल में ही 2013-14 के लिए नई बिजली दरें तय करना चाहता
है। गौरतलब है कि आयोग ने नई बिजली दरें तय करने के लिए दिसम्बर-2012 में
ही बिजली वितरण कंपनियों बीएसईएस राजधानी, यमुना, टीपीडीडीएल व एनडीएमसी के
अलावा उत्पादन कंपनियों और ट्रांसको से आय व्यय के ब्योरे मंगा कर वित्त
विशेषज्ञों से इनकी जांच करा ली है। अब इन ब्योरों को नेट पर डालकर
उपभोक्ताओं से सुझाव मांगे गए हैं। सुझाव पंद्रह दिनों के अंदर देने हैं।
उपभोक्ता आपत्तियां और सुझाव नेट के जरिए भी भेज सकते हैं। सीधे डीईआरसी
कार्यालय भी भेजा जा सकता है। उधर, ग्रेटर कैलाश आरडब्ल्यूए के सदस्य राजीव
कांकरिया का कहना है कि बिजली वितरण कंपनियां फायदे में हैं। ऐसे में दरों
को बढ़ाने का कोई सवाल ही नहीं उठता है। उन्होंने कहा कि साल 2012 में
बिजली कंपनियों ने घाटा बताते हुए दरों में 70 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की मांग
की थी और 2013 में 9 प्रतिशत बढ़ोतरी की मांग की जा रही है। उन्होंने सवाल
उठाया कि पिछले साल ऐसा क्या हो गया कि कंपनियों के घाटे की इतनी भरपाई हो
गई। इससे पता चलता है कि बिजली कंपनियां कितनी धोखाधड़ी कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि वितरण कंपनियों, दिल्ली सरकार और डीईआरसी के बीच मिलीभगत
है। उपभोक्ताओं की बजाय वितरण कंपनियों के हितों को पूरा किया जा रहा है।
आरडब्ल्यूए ज्वाइंट फ्रंट के अध्यक्ष बीएस वोहरा ने कहा कि बिजली दरों और
सरचार्ज में 20 प्रतिशत बढ़ोतरी का जो प्रस्ताव वितरण कंपनियों ने दिया है,
वह पूरी तरह से गलत है। उन्होंने कहा कि बिजली कंपनियां लाभ में हैं,
लेकिन अपने खातों में हानि दर्शाती हैं। उनके खातों की जांच सीएजी से कराई
जाए। सीएजी की रिपोर्ट के बाद ही नई दरें तय हों। पूर्वी दिल्ली आरडब्ल्यूए
के अध्यक्ष अनिल वाजपेयी ने कहा कि जो ब्योरा दिया गया है, वह तथ्यों से
परे है। उन्होंने कहा कि जनसुनवाई के दौरान आरडब्ल्यूए इस संबंध में
साक्ष्यों का खुलासा करेगी।
डीईआरसी ने 15 दिन में मांगी उपभोक्ताओं से राय चुनाव के मद्देनजर इस साल जल्दी नई दरें तय करना चाहता है आयोग
with thanks : Rashtriy Sahara
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