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Wednesday, September 5, 2012

बिजली के बिलों ने उपभोक्ताओं की नींद उड़ाई



नई दिल्ली (एसएनबी)। इस साल एक जुलाई से नया टैरिफ लागू होने के बाद बढ़ी दरों के हिसाब से आए दो माह के बिजली बिल ने राजधानी के उपभोक्ताओं की नींद उड़ा दी है। आलम यह है कि जिन उपभोक्ताओं का जुलाई से पहले दो माह का बिजली बिल 1000 रुपए के करीब आता था, उनका इस बार 2000 हजार रुपए से भी ज्यादा का बिल आया है। उपभोक्ताओं का कहना है कि बिजली कंपनियों के हित में डीईआरसी की नई पॉलिसी का नतीजा हैं ये भारी बिल। डीईआरसी ने वर्ष 2012-13 के लिए नई बिजली दरें 1 जुलाई को लागू की थीं। नए टैरिफ में 0 से 200 यूनिट तक बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट एक रुपए की सब्सिडी दिल्ली सरकार देती है। 200 यूनिट तक खर्च करने वालों के लिए प्रति यूनिट कीमत 3.70 पैसे है। इसमें 1 रुपए की सब्सिडी मिलती है और कंस्यूमर्स को प्रति यूनिट 2.70 पैसे पड़ता है। लेकिन जैसे ही यूनिट्स 200 से बढ़कर 201 होती है, उपभोक्ता छूट से वंचित हो जाता है और वह 200 से 400 के स्लैब में आ जाता है और उसे प्रति यूनिट 4.80 पैसे की दर से बिल का भुगतान करना पड़ता है। जबकि पहले यदि किसी उपभोक्ता की दो माह में 250 यूनिट्स उठती थी, तो पहले 200 यूनिट्स पर उसे छूट का लाभ मिलता था और अगले 50 यूनिट्स के लिए नेक्स्ट स्लैब की दरों के हिसाब से चार्ज किया जाता था। लेकिन अब 201 यूनिट्स होते ही नेक्स्ट यानी 200 से 400 के स्लैब की दरों के हिसाब से हर यूनिट का चार्ज वसूला जाता है और इसी वजह से इस बार उपभोक्ताओं का भारी बिल आया है। डीईआरसी की इस नई पालिसी से उपभोक्ताओं पर बिजली दरों का अधिभार 100 से 125 पर्सेट तक बढ़ गया है। परेशान उपभोक्ताओं ने बढ़े बिलों की शिकायत डीईआरसी अध्यक्ष से लेकर दिल्ली की मुख्यमंत्री तक से की है। उपभोक्ताओं का कहना है कि वह पहले से ही तेज भागते और रिवर्स मीटर की समस्या के कारण बढ़े बिलों से परेशान थे, अब डीईआरसी की नई पालिसी के कारण उनका और भी बुरा हाल हो गया है। बी-108, पटेल गार्डन निवासी सीमा यादव ने बताया कि मई 2012 तक उनका बिजली का बिल 600 से 800 रुपए आता था, लेकिन नया टैरिफ लागू होने के बाद अगस्त माह के मध्य में आया जून और जुलाई का बिल 2500 रुपए से ज्यादा का है। उन्होंने कहा कि इस बिल की शिकायत उन्होंने डीईआरसी से लेकर दिल्ली सरकार के जन शिकायत प्रकोष्ठ तक में की, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला। उन्होंने कहा कि पानी और बिजली का बिल इतना बढ़ गया है कि घर चलाना मुश्किल हो गया है। न्यू अशोक नगर निवासी मनीष कुमार ने बताया कि उनका बिजली बिल इस साल मई जून माह में, जब भयंकर गर्मी होती है, 1000 रुपए के करीब आया था। लेकिन अगस्त माह में जो बिल आया है, वह दो गुना से भी अधिक है। बिजली बिल के इतना अधिक आ जाने के कारण घर का बजट बिगड़ गया। उन्होंने कहा कि घर में एसी न होने के बाद भी इतना बिल आना आश्चर्यजनक है। फ्रेंड्स कालोनी निवासी हरेंद्र कुमार ने बताया कि घर में दो एसी लगे होने के कारण जुलाई से पहले बिजली बिल 5000 से 7000 रुपए के करीब आता था, लेकिन अगस्त माह में आया बिजली का बिल 12000 हजार के आंकड़े को पार कर गया है। उन्होंने कहा कि अब तो एसी चलाना मुश्किल हो गया है। उधर, बिजली वितरण कंपनी के प्रवक्ता ने बताया कि इसमें बिजली वितरण कंपनियों का दोष नहीं है। टैरिफ का निर्धारण डीईआरसी ने किया है। उन्होंने कहा कि गर्मियों और वष्रा के मौसम में बिजली की खपत बढ़ती है, ऐसे में बिल भी ज्यादा आता है। उन्होंने कहा कि अक्टूबर माह से बिजली की खपत कम होनी शुरू हो जाएगी और बिल भी कम आएगा। क्या कहते हैं डीईआरसी अध्यक्ष : डीईआरसी के अध्यक्ष पीडी सुधाकर ने बताया कि बिजली दरों का निर्णय लीगल निर्णय है। अगर किसी को शिकायत है तो वह याचिका दायर करे। उन्होंने कहा कि अगर किसी को मीटर से शिकायत है तो वह अपने मीटर की जांच करा ले। बढ़े बिलों के विरोध में सीईआरसी का दरवाजा खटखटाया : पूर्वी दिल्ली ज्वाइंट फोरम के अध्यक्ष बीएस वोहरा ने सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन (सीईआरसी) में बढ़ी बिजली दरों के खिलाफ वाद दायर किया है। याचिकाकर्ता वोहरा ने बताया कि बिजली की बढ़ी दरों से आम आदमी पर भार पड़ा है। उन्होंने कहा कि जिन बिजली कंपनियों ने डीईआरसी को राजस्व वसूली कम बताई है अथवा बिजली चोरी के कारण घाटे की बात कही है, उनके इस संदर्भ में दिए साक्ष्य गलत हैं। अप्रैल माह में इन्हीं कंपनियों ने बिजली की अधिक खरीद और मई माह में कम खपत की बात कही थी। जिन उपभोक्ताओं का मई जून का बिल 600 से 800 रुपए तक आया था, उनका जुलाई-अगस्त का बिल 2000 को पार कर गया है 200 से एक यूनिट भी ऊपर बढ़ते ही बिल में 4.80 पैसे प्रति यूनिट चार्ज किया गया है

with thanks : Rashtriya Sahara

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