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Wednesday, August 1, 2012

जय हिंद ! जय हिंद ! जय हिंद ! जय हिंद ! जय हिंद !





























अरविन्द की तबियत लगातार खराब हो रही है !भीषण शुगर की बीमारी और भूख का आठंवा दिन! मंच के पास, जिस टीन के नीचे वो पड़ा है उस के तख्त के आस-पास पानी भर गया है ! आश्चर्य होता है कि क्या ये वही आदमी है जो कभी आई आई टी से पढ़ कर जोइंट कमिश्नर था इनकम टेक्स विभाग में ? ख़बर है की सरकार उसे आत्महत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कर के आधी-रात उठाना चाहती है ! ये भी शक है की उसका हश्र भी जयप्रकाश नारायण वाले "






































सरकारी-इलाज़" फार्मूले से कर दिया जाए ! मुश्किल से उठ कर उस ने मंच पर आ कर कहा कि "सरकार समझ ले कि मैं बलिदान देने आया हूँ ,आत्महत्या करने नहीं !"....पर वो लड़ाई नहीं छोड़ेगा ! भारत के सभी "चर्चा-चक्रवर्ती " बुद्धिजीवी , इस निहायत प्रबल बेवकूफी के खिलाफ आमंत्रित हैं ...."ढोंग" , "नाटक" , "बी जे पी-संघ का हाथ ", "एन जी ओ का विदेशी एजेंडा " "प्रसिद्धि पाने का तरीका" आदि फेसबुकी विचार आमंत्रित हैं ! ऐसे पागलों को गालियाँ मिलनी ही चाहिए जो दूसरों के भविष्य के लिए अपनी ज़िन्दगी दांव पर लगाते हों ! जीवन में कितना सुख है ....मॉल हैं , फेसबुक है , फिल्म है , इश्क है , सैर-सपाटा है , ऑसम मौसम है और ये अजीब बेवकूफ हैं मार जुटे पड़े हैं सब का सुकून ख़राब करने !देश भर में अँधेरा है तो क्या हुआ ? सब ठीक हो जायेगा ,हो तो रहा है , बस सौ-दो सौ साल ही तो लूट पाएंगे ये सब नेता-वेता !चूँकि मुझे भी इस बेवकूफी की लाइलाज लत है ...सो उन सब महान चिंतको की घर से ही प्रेषित गालियाँ सादर स्वीकार ! जय हिंद !   


by : Dr Kumar Vishwas

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